सनातन धर्म क्या है पीडीएफ हिंदी में | Sanatan Dharma Kya Hai PDF Hindi Book

सादगी से बढ़कर कोई श्रृंगार नहीं होता! और विनम्रता से बढ़कर कोई व्यवहार नहीं होता।
- ए. पी. जे. अब्दुल कलाम

Sanatan Dharma Kya Hai PDF Hindi Book


सनातन धर्म क्या है हिंदी पुस्तक पीडीएफ / Sanatan Dharma Kya Hai Hindi Book PDF


जब से उच्चतम न्यायालय ने यह कहा है कि- "हिन्दू-धर्म कोई धर्म नही है" तब से अपने को हिन्दू कहनेवाले लोग 'धर्महीन' और 'नामकरणहीन' हो गये हैं। जिसके कारण अब कोई टेलीविजन आदि पर भी हिन्दू-धर्म का नाम लेकर बहस नहीं करता।

इसलिए नाम-हीन हुए इन लोगों ने एक नया शब्द खोजा "सनातन- धर्म" उससे ये अपने को सनातन धर्मवाला कहने लगे हैं और अपने को सनातनी । इससे पहले कोई अपने को इस प्रकार सनातन धर्मवाला नही कहता था जैसे आज यह शब्द आम हो गया है। 

चूँकि समस्या यह है कि अपने को कभी हिन्दू तो अब सनातनी कहनेवाले एक ओर घोर अज्ञानी हैं तो दूसरी और सच को जानते नही हैं। क्या अपने को सनातनी और सनातन धर्म कहनेवाले यह जानते हैं कि 'सनातन' किसे कहा है? नही जानते तो अच्छी तरह से जान लो सनातन धर्म क्या है और उसके अनुसार सनातनी कौन हैं? साथ ही उन सबको बता देना जो अब अज्ञानवश सनातन धर्मवाले हो गये हैं।

महाभारत आदिपर्व ग्रंथ में अध्याय 113 के श्लोक 1-30 में "सनातन धर्म क्या है" के बारे में विस्तार से बताया गया है। उन्ही में से गए कुछ श्लोक और उनके हिंदी अर्थ नीचे दिए जा रहे है -

एवमुक्तस्तया राजा तां देवीं पुनरब्रवीत् । धर्मविद्धर्मसंयुक्तमिदं वचनमुत्तमम् ॥१ एवमेतत्पुरा कुन्ति व्युषिताश्वश्चकार ह । यथा त्वयोक्तं कल्याणि स ह्यासीदमरोपमः ॥२

अर्थ- धर्मज्ञ राजा पाण्डु देवीसे यह बात सुनकर फिर उससे अच्छा धर्मयुक्त यह वाक्य बोले ॥ हे कुन्ति! तुमने जो कहा, वह ठीक ही है। व्युपिताश्वने ऐसा ही किया था, क्योंकि वह देववत् थे ।।

अथ त्विमं प्रवक्ष्यामि धर्मं त्वेतं निबोध मे । पुराणमृषिभिर्दृष्टं धर्मविद्भिर्महात्मभिः ॥३ अनावृताः किल पुरा स्त्रिय आसन्वरानने । कामचारविहारिण्यः स्वतन्त्राश्चारुलोचने ॥४

अर्थ- पर धर्मज्ञ महात्मा महर्षियोंने पुराणोंमें धर्म का जो तत्त्व दिखाया है, उस धर्मके तत्त्वको मैं तुमसे कहता हूं, सुनो ॥ हे सुन्दरि ! पूर्वकालमें स्त्रियोंको कुछ मनाई नहीं थी; हे सुधरहासिनी ! वे उन दिनों स्वतंत्र अर्थात् पति आदियोंसे न रोकी जाकर भोगके सुखकी आशामें घूमा करती थीं ।।

तासां व्युच्चरमाणानां कौमारात्सुभगे पतीन् । नाधर्मोऽभूद्वरारोहे स हि धर्मः पुराभवत् ॥५ तं चैव धर्म पौराणं तिर्यग्योनिगताः प्रजाः । अद्याप्यनुविधीयन्ते कामद्वेषविवर्जिताः ॥६ पुराणदृष्टो धर्मोऽयं पूज्यते च महर्षिभिः ॥६

अर्थ- हे सुन्दरी! वे कुमारी-दशा हीमें व्यभिचार करती थीं, इससे उनके लिए वह अधर्म नहीं होता था, क्योंकि वही पूर्वकालका धर्म था ।। हे सुन्दरि ! आजतक तिर्यग् योनिकी प्रजा काम द्वेषसे रहित होकर उस पुराने धर्मके अनुसार चलती है महर्षिलोग भी पुराणसे दर्शाये हुए इस धर्मकी प्रशंसा किया करते है ।।

BookSanatan Dharma Kya Hai Hindi PDF
AuthorShri Kalyan Pratap Singh
LanguageHindi
Pages10
Size0.5 MB
FilePDF
CategoryHinduism
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