हज का पैगाम हिंदी पुस्तक पीडीएफ | Haj Ka Paigam Hindi Book PDF Download
हज एक आलमी इज्तिमाई इबादत है। इसकी तारीखें क़मरी महीने के मुताबिक़ तय की गई हैं। हज के मरासिम मक्का और उसके आस-पास के मुक़ामात पर पाँच दिनों के अंदर 8 ज़िल्हिज्जा से 12 ज़िल्हिज्जा तक अदा किए जाते हैं। हज की तारीखें पैगंबर इब्राहीम और पैगंबर इस्माईल से वाबस्ता हैं।
अल्लाह का यह मंसूबा था कि तौहीद की बुनियाद पर एक इंक़लाब बरपा किया जाए। इस मक़सद के लिए क़दीम दौर में अल्लाह ने बहुत से पैगंबर भेजे, लेकिन इन पैगंबरों के ज़रिये कोई टीम नहीं बनी। इसलिए क़दीम ज़माने में मतलूब इंक़लाब बरपा न हो सका। इसके बाद अल्लाह ने हज़रत इब्राहीम के ज़रिये एक नया मंसूबा बनाया। इस मंसूबे के तहत हज़रत इब्राहीम ने अपनी बीवी हाजरा और अपने बेटे इस्माईल को अरब के सहरा में बसा दिया।
हाजरा के शौहर हज़रत इब्राहीम बिन आज़र तक़रीबन साढ़े चार हज़ार साल पहले इराक़ में पैदा हुए और 175 साल की उम्र पाकर उनकी वफ़ात हुई। उन्होंने अपने ज़माने के लोगों को तौहीद की दावत दी, लेकिन शिर्क और बुतपरस्ती का ग़लबा उन लोगों के ज़हन पर इतना ज़्यादा हो गया था कि वे तौहीद के पैग़ाम को क़बूल न कर सके।
हज़रत इब्राहीम ने एक से ज़्यादा जनरेशन तक लोगों को तौहीद का पैग़ाम दिया, लेकिन उस ज़माने में शिर्क एक तहज़ीब की सूरत इख़्तियार करके लोगों की ज़िंदगी में इस तरह शामिल हो चुका था कि वे उसे अलग होकर सोच नहीं सकते थे। पैदा होते ही हर आदमी को शिर्क का सबक़ मिलने लगता था। यहाँ तक कि माहौल के असर से उसका ज़हन पूरी तरह शिर्क में ढल चुका था।
Book | हज का पैगाम / Haj Ka Paigam |
Author | Maulana Wahiduddin Khan |
Language | Hindi |
Pages | 51 |
Size | 1 MB |
File | |
Category | Islamic Books |
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