रिच डैड पुअर डैड हिंदी पुस्तक पीडीएफ | Rich Dad Poor Dad Hindi Book PDF


Rich Dad Poor Dad Hindi Book PDF


रिच डैड पुअर डैड हिंदी पुस्तक पीडीएफ | Rich Dad Poor Dad Hindi Book PDF

दरअसल इस पुस्तक में दिए गए विचार शायद बहुत से माता-पिताओं को क्रांतिकारी और अतिशयोक्तिपूर्ण लगेंगे। कई लोगों को तो अपने बच्चों को स्कूल में रखने में ही काफी मेहनत करनी पड़ रही है। परंतु बदलते हुए समय को देखते हुए हमें नए और जोखिम भरे विचारों की तरफ ध्यान देने की जरूरत है। अपने बच्चों को कर्मचारी बनने की सलाह देने का मतलब यह है कि हम उन्हें जिंदगी भर अपनी खून-पसीने की कमाई से इन्कम टैक्स व और भी न जाने कितने टैक्स चुकाने की सलाह देते हैं और इसके बाद भी पेंशन की कोई गारंटी नहीं होती। 

और यह सच है कि आज के ज़माने में टैक्स किसी व्यक्ति का सबसे बड़ा खर्च है। हक़ीकत में, ज्यादातर परिवार तो जनवरी से आधी मई तक सिर्फ़ अपने टैक्स चुकाने के लिए ही सरकार की नौकरी करते हैं। आज नए विचारों की बहुत ज़रूरत है और यह पुस्तक हमें नए विचार देती है। रॉबर्ट का दावा है कि अमीर लोग अपने बच्चों को अलग तरह की शिक्षा देते हैं। वे अपने बच्चों को घर पर सिखाते हैं, डिनर टेबल पर। हो सकता है कि यह विचार वे न हों जिन पर आप अपने बच्चों के साथ बातें करते हों, परंतु उन पर नज़र डालने के लिए धन्यवाद। और में आपको सलाह देती हूँ कि आप खोज करते रहें। 

एक माँ और एक सी.पी.ए. होने के नाते में तो यही सोचती हूँ कि अच्छे नंबर लाना और एक बढ़िया नौकरी पा लेना एक पुराना विचार है। हमें अपने बच्चों को नए तरह के विचार देने होंगे। हमें उन्हें अलग तरह की शिक्षा देनी होगी। शायद हम अपने बच्चों को यह सिखाएँ कि अच्छे कर्मचारी होने के साथ-साथ वे अपना खुद का निवेश कॉरपोरेशन भी खोल सकें। दोनों का यह तालमेल बढ़िया रहेगा। एक माँ होने के नाते मुझे उम्मीद है कि यह पुस्तक सभी अभिभावकों के लिए फ़ायदेमंद होगी। रॉबर्ट लोगों को यह बताना चाहते हैं कि कोई भी व्यक्ति अगर ठान ले, तो अमीर बन सकता है। 

अगर आप एक माली या गेटकीपर हैं या पूरी तरह बेरोज़गार हैं तो भी आपमें खुद को और अपने परिवार के लोगों को धन संबंधी बातें सिखाने की काबिलियत है। यह याद रखें कि धन संबंधी बुद्धि वह दिमाग़ी तरीक़ा है जिससे हम अपनी धन संबंधी समस्याओं को सुलझाते हैं। आज हम ऐसे विश्वव्यापी तकनीकी परिवर्तनों का सामना कर रहे हैं, जिनका सामना हमने आज से पहले कभी नहीं किया। किसी के पास भी जादू की पुड़िया नहीं है, परंतु एक बात तो तय है: ऐसे परिवर्तन हमारे सामने आने वाले हैं जो हमारे यथार्थ से परे हैं। 

कौन जाने भविष्य हमारे लिए क्या लाता है? पर जो भी हो हमारे पास दो मूलभूत विकल्प मौजूद हैं: या तो हम सुरक्षा की राह पर चलें या फिर हम स्मार्ट बनकर खुद को धन संबंधी क्षेत्रों में शिक्षित करें और अपने बच्चों की धन संबंधी प्रतिभा को भी जागृत करें।


सबक एक : अमीर लोग पैसे के लिए काम नहीं करते

"डेडी, क्या आप मुझे बता सकते हैं कि अमीर कैसे बना जाए?"

यह सुनते ही मेरे डैडी ने अपना शाम का अखबार नीचे रख दिया। "बेटे, तुम अमीर क्यों बनना चाहते हो?"

"क्योंकि आज जिमी की मम्मी अपनी नई कैडिलक कार में आईं और वे लोग पिकनिक पर अपने समुद्र तट वाले घर पर जा रहे थे। जिमी अपने साथ अपने तीन दोस्तों को ले गया, परंतु माइक और मुझे नहीं ले गया। उसने हमसे यह कहा कि वह हमें इसलिए नहीं ले जाएगा क्योंकि हम लोग 'गरीब बच्चे' थे।"

"उसने ऐसा कहा?" डैडी ने अविश्वास से पूछा।

"हाँ, बिलकुल ऐसा।" मैंने दर्द भरी आवाज़ में कहा।

डैडी ने अपना सिर हिलाया, नाक तक चश्मे को चढ़ाया और फिर अखबार पढ़ने लगे। मैं उनके जवाब का इंतजार करता रहा।


सबक दो : गरीब लोग पैसे के लिए काम करते है, अमीरों के लिए पैसा काम करता है।

मेरे ग़रीब डैडी ने जो शिक्षा मुझे दी थी, शनिवार की उस खुशनुमा सुबह मैं उससे बिलकुल अलग नज़रिया सीख रहा था। नौ साल की उम्र में में यह समझ गया था कि दोनों ही डैडी चाहते थे कि मैं सीखूँ। दोनों ही डैडी मुझे पढ़ने के लिए प्रेरित करते थे... फ़र्क़ सिर्फ इतना था कि दोनों के सुझाए विषय अलग-अलग थे।

मेरे पढ़े-लिखे डैडी चाहते थे कि में वही करूँ जो उन्होंने किया था। "बेटे, में चाहता हूँ कि तुम मेहनत से पढ़ो, अच्छे नंबर लाओ ताकि तुम्हें किसी बड़ी कंपनी में सुरक्षित नौकरी मिल सके। और यह अच्छी तरह देख लो कि इसमें बहुत से दूसरे लाभ हों।" मेरे अमीर डैडी चाहते थे कि मैं यह सीखूँ कि पैसा कैसे काम करता है ताकि मैं इससे अपने लिए काम करवा सकूँ। यह सबक़ मुझे जीवन भर उनके मार्गदर्शन में सीखना था, न कि किसी क्लासरूम में।

मेरे अमीर डैडी ने मेरा पहला सबक जारी रखा, "मैं खुश हूँ कि तुम 10 सेंट प्रति घंटे के हिसाब से काम करने पर गुस्सा हो गए। अगर तुम गुस्सा नहीं हुए होते और तुम ऐसा खुशी-खुशी करते रहते तो मैं तुमसे साफ साफ कह देता कि मैं तुम्हें नहीं सिखा सकता। यह जान लो कि सच्ची शिक्षा में ऊर्जा, प्रबल भावना और जबर्दस्त इच्छा की जरूरत होती है। गुस्से उस फ़ॉर्मूले का एक बहुत बड़ा हिस्सा है, क्योंकि प्रबल भावना में गुस्से और प्रेम का समन्वय होता है। 

जब पैसे की बात आती है, तो ज़्यादातर लोग सुरक्षित रास्ता खोजते हैं। इसलिए प्रबल भावना उन्हें राह नहीं दिखा पाती। उन्हें राह दिखाता है उनका डर। "तो क्या इसीलिए वे कम तनख्वाह पर काम करने के लिए राज़ी हो जाते हैं?" मैंने पूछा।

"हाँ," अमीर डैडी ने कहा। "कुछ लोग कहते हैं कि मैं लोगों का शोषण करता हूँ क्योंकि मैं उन्हें उतनी तनख़्वाह नहीं देता जितनी उन्हें सरकार की तरफ से मिलती है। मैं यही कहना चाहता हूँ कि लोग खुद अपना शोषण करते हैं। डरते वे हैं, मैं नहीं।"

"पर क्या आपको नहीं लगता कि आपको उन्हें ज़्यादा तनख्वाह देनी चाहिए?" मैंने पूछा।

"मुझे ज़्यादा देने की ज़रूरत ही नहीं है। और इसके अलावा, ज़्यादा पैसा मिलने से उनकी समस्या नहीं सुलझेगी। अपने डैडी को ही देख लो। वे बहुत सा पैसा कमाते हैं और फिर भी वे अपने बिलों का भुगतान नहीं कर पाते। दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्हें अगर ज़्यादा पैसा मिल जाए तो वे ज़्यादा क़र्ज़ में डूब जाएँगे।"

"तो इसी कारण आपने मुझे 10 सेंट प्रति घंटे की तनख़्वाह दी," मैंने मुस्कराते हुए कहा। "यह सबक़ का हिस्सा था।" "बिलकुल सही," अमीर डेडी ने मुस्कराकर कहा। "देखो तुम्हारे डैडी स्कूल गए और उन्होंने बहुत बढ़िया शिक्षा इसलिए हासिल की ताकि उन्हें अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी मिल सके। जो उन्हें मिल गई। परंतु उनके पास आज भी पैसे की तंगी है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्होंने स्कूल में पैसे के बारे में कुछ भी नहीं सीखा। और सबसे बड़ी बात यह है कि वे पैसे के लिए काम करने में भरोसा करते हैं।

Table of Information -
BookRich Dad Poor Dad
AuthorRobert T Kiyosaki
LanguageHindi
Pages155
Size6 MB
FilePDF
CategoryHindi Book
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