रामकृष्ण परमहंस उपदेश हिंदी पुस्तक पीडीएफ | Ramakrishna Paramhans Upadesh Hindi Book PDF


Ramakrishna Paramhans Upadesh Hindi Book PDF


रामकृष्ण परमहंस उपदेश हिंदी पुस्तक पीडीएफ | Ramakrishna Paramhans Upadesh Hindi Book PDF Download

रात्रिके समय आकाश मण्डलमें संख्य तारे चमकते हुए दिखाई देते हैं, किन्तु सूर्योदय होने पर एक भी तारा दिखाई नहीं देता, तो क्या यह कह सकते हैं कि दिनमें तारे नहीं रहते ? अतएव हे मनुष्यों । अज्ञानवश परमात्माको न देख सकनेके कारण उसके अस्तित्व पे सन्देह मत करो। समुद्रमें मोती अवश्य रहते हैं, किन्तु वे परिश्रमके बिना नहीं मिलते। इसी प्रकार संसारमें ईश्वर विद्यमान रहने पर भी, वे बिना प्रयास के नहीं मिलते।

भगवान् सबके भीतर कैसे विराजते हैं ? जैसे चिकके भीतर बड़े घरों की स्त्रियाँ। वे तो सबको देखती हैं, किन्तु उनको कोई नहीं देख पाता। इसी प्रकार भगवान् है; वे तो सबको देखते हैं, किन्तु उनको देखता कोई नहीं। कर्ता के बिना कर्म नहीं होता - जब हम किसी निर्जन स्थानमें देवादि की मूर्ति देखते हैं, तब वहाँ मूर्त्ति निर्माता के उपस्थित न रहनेपर भी हमें उसके अस्तित्त्व की अनुभूति होजाती है, उसी प्रकार इस विश्वको देखकर उसके निर्माता (ईश्वर) के अस्तित्व का ज्ञान होता है।

दूध में मक्खन रहता है, किन्तु अज्ञान बालकों को उसका ज्ञान नहीं रहता, तो क्या इसीलिए कह सकते हैं कि दूधमें मक्खन ही नहीं होता? साकार और निराकार का अन्तर जल और बर्फ के समान है। जल जब जमकर बर्फ बन जाता है तब वह साकार और जब वह गलकर पानी हो जाता है तब निराकार हो जाता है।

जो निराकार है वही साकार हो जाता है। जैसे महासागर में अनन्त जल भरा रहता है, किन्तु वही जल कहीं- कहीं अधिक ठंड पाकर जम जाता है; उसी प्रकार भगवान् भक्त के भक्ति-हिम के प्रताप से साकार रूप धारण करते है। फिर सूर्योदय होनेपर जिस प्रकार बर्फ पिघलकर पहले के समान जलका जल हो जाता है, उसी प्रकार ज्ञानसूर्यके उदय होनेपर साकार रूप मिट जाता है और निराकार रह जाता है।

शक्तिके बिना ब्रह्मकी पहचान नहीं होती। अथवा यों कहना चाहिये कि शक्तिके द्वारा ही ब्रह्म का अस्तित्व जाना जाता है। बगीचेमें जब कोई फूल खिलता है तब उसकी सुगंध ही चारों भोर फैलकर उसका समाचार पहुँचाती है। उसी प्रकार शक्तिरूपी सौरभ पुष्परूपी ब्रह्मका ज्ञान कराता है।



Bookरामकृष्ण परमहंस उपदेश / Ramakrishna Paramhans Upadesh
AuthorShri Shivsahay Chaturvedi
LanguageHindi
Pages80
Size2 MB
FilePDF
CategoryHindi Books, Hinduism
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