भविष्य पुराण हिंदी पुस्तक पीडीएफ | Bhavishya Puran Hindi Book PDF



Bhavishya Puran Hindi Book PDF


भविष्य पुराण हिंदी पुस्तक पीडीएफ / Bhavishya Puran Hindi Book PDF


एक समय व्यासजी के शिष्य महर्षि सुमन्तु तथा वसिष्ठ, गौतम, भारद्वाजादि महर्षिगण पाण्डववंश में महाबलशाली राजा शतानीक की सभा में गये। राजा ने उन ऋषियों का विधिवत् स्वागत-सत्कार किया और उन्हें उत्तम आसनों पर बैठाया तथा भलीभाँति उनका पूजन कर विनयपूर्वक इस प्रकार प्रार्थना की- 'हे महात्माओ! आपलोगों के आगमन से मेरा जन्म सफल हो गया। आपलोगों के स्मरणमात्र से ही मनुष्य पवित्र हो जाता है, फिर आपलोग मुझे दर्शन देनेके लिये यहाँ पधारे हैं, अतः आज मैं धन्य हो गया। आपलोग कृपा करके मुझे उन पवित्र धर्मशास्त्र की कथाओं को सुनायें, जिनके सुनने से मुझे परमगति की प्राप्ति हो।

ऋषियोंने कहा- हे राजन् ! इस विषय में आप हम सबके गुरु, साक्षात् नारायणस्वरूप भगवान् वेदव्यास से निवेदन करें। वे कृपालु हैं, सभी प्रकारके शास्त्रों के ज्ञाता हैं। जिसके श्रवणमात्र से मनुष्य सभी पातकों से मुक्त हो जाता है, उस 'महाभारत' ग्रन्थ के रचयिता भी यही हैं।

राजा शतानीक ने ऋषियों के कथनानुसार सभी शास्त्रों के जाननेवाले भगवान् वेदव्यास से प्रार्थनापूर्वक जिज्ञासा की प्रभो! मुझे आप धर्ममयी पुण्य - कथाओं का श्रवण करायें, जिससे मैं पवित्र हो जाऊँ और इस संसार सागर से मेरा निमग्न उद्धार हो जाय।

व्यासजीने कहा- 'राजन् ! यह मेरा शिष्य सुमन्तु महान् तेजस्वी एवं समस्त शास्त्रोंका ज्ञाता है, यह आपकी जिज्ञासाको पूर्ण करेगा।' मुनियोंने भी इस बातका अनुमोदन किया। तदनन्तर राजा शतानीकने महामुनि सुमन्तुसे उपदेश करनेके लिये प्रार्थना की- हे द्विजश्रेष्ठ ! आप कृपाकर उन पुण्यमयी कथाओंका वर्णन करें, जिनके सुननेसे सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और शुभ फलोंकी प्राप्ति होती है।

महामुनि सुमन्तु बोले- राजन् ! धर्मशास्त्र सबको पवित्र करने वाले हैं। उनके सुनने से मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है। बताओ, तुम्हारी क्या सुनने की इच्छा है ?

शतानीकने कहा— प्रभो ! मैने अनेकों धर्मशास्त्रों को कई बार सुना है। अब इन्हें पुनः सुनने की इच्छा नहीं है। कृपाकर आप चारों वर्णोंके कल्याण के लिये जो उपयुक्त धर्मशास्त्र हो उसे मुझे बतायें।

सुमन्तु मुनि बोले- राजन् ! आपने बहुत उत्तम बात पूछी है। मैं आपको भविष्यपुराणकी कथा सुनाता हूँ, जिसके श्रवण करने से ब्रह्महत्या आदि बड़े-बड़े पाप नष्ट हो जाते हैं और अश्वमेधादि यज्ञोंका पुण्यफल प्राप्त होता है तथा अन्तमें सूर्यलोककी प्राप्ति होती है, इसमें कोई संदेह नहीं। यह उत्तम पुराण पहले ब्रह्माजीद्वारा कहा गया है। विद्वान् ब्राह्मणको इसका सम्यक् अध्ययन कर अपने शिष्यों तथा चारों वर्णोंके लिये उपदेश करना चाहिये। इस पुराणमें श्रौत एवं स्मार्त सभी धर्मोका वर्णन हुआ है। यह पुराण परम मङ्गलप्रद, सद्बुद्धिको बढ़ानेवाला, यश एवं कीर्ति प्रदान करनेवाला तथा परमपद - मोक्ष प्राप्त करानेवाला है।

इस भविष्यपुराण में सभी धर्मो का संनिवेश हुआ है तथा सभी कर्मोंके गुणों और दोषोंके फलोंका निरूपण किया गया है। चारों वर्णों तथा आश्रमोंके सदाचारका भी वर्णन किया गया है, क्योंकि 'सदाचार ही श्रेष्ठ धर्म है' ऐसा श्रुतियोंने कहा है, इसलिये ब्राह्मणको नित्य आचारका पालन करना चाहिये, क्योंकि सदाचारसे विहीन ब्राह्मण किसी भी प्रकार वेदके फलको प्राप्त नहीं कर सकता। सदा आचारका पालन करनेपर तो वह सम्पूर्ण फलोंका अधिकारी हो जाता है, ऐसा कहा गया है। सदाचारको ही मुनियोंने धर्म तथा तपस्याओंका मूल आधार माना है, मनुष्य भी इसीका आश्रय लेकर धर्माचरण करते हैं। 

इस प्रकार इस भविष्यमहापुराणमें आचारका वर्णन किया गया है। तीनों लोकोंकी उत्पत्ति, विवाहादि संस्कार - विधि, स्त्री-पुरुषोंके लक्षण, देवपूजाका विधान, राजाओंके धर्म एवं कर्तव्यका निर्णय, सूर्यनारायण, विष्णु, रुद्र, दुर्गा तथा सत्यनारायणका माहात्म्य एवं पूजा-विधान, विविध तीर्थोंका वर्णन, आपद्धर्म तथा प्रायश्चित्त-विधि, संध्याविधि, स्नान, तर्पण, वैश्वदेव, भोजनविधि, जातिधर्म, कुलधर्म, वेदधर्म तथा यज्ञ - मण्डलमें अनुष्ठित होनेवाले विविध यज्ञोंका वर्णन हुआ है।





Bookभविष्य पुराण / Bhavishya Puran
AuthorGita Press
LanguageHindi
Pages654
Size1.4 GB
FilePDF
CategoryHindi Books, Hinduism
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