अच्छी नींद कैसे सोयें हिंदी पुस्तक पीडीएफ | How To Sleep Well Hindi Book PDF



How To Sleep Well Hindi Book PDF


अच्छी नींद कैसे सोयें हिंदी पुस्तक पीडीएफ | How To Sleep Well Hindi Book PDF Download

श्वसन क्रिया के बाद नींद जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता है। यदि श्वसन क्रिया जीवन को चलाती है. तो निद्रा जीवनी-शक्ति को वह आवश्यक अन्तराल प्रदान करती है जिससे शरीर की क्षति पूर्ति हो सके। यदि श्वसन क्रिया से जीवन का संरक्षण होता है, तो निद्रा से दैनिक कार्यकलापों में व्यय होने वाली ऊर्जा की पूर्ति होती है। यदि श्वसन क्रिया सभी प्राणियों में स्पन्दित होने वाली शक्ति का संकेत है, तो नींद अचल सुप्त यथार्थता हेतु आधार प्रदान करती है। यदि श्वसन रूपों की अनन्त विभिन्नताओं में प्रकट होता है, तो नींद अस्तित्व की अनिवार्य एकता का वर्णन हमारे समक्ष करती है। यदि श्वसन हमारे चारों ओर व्याप्त दिव्य ऊर्जा के स्रोत से, हिरण्यगर्भ से जीवन शक्ति और ऊर्जा हमें ला कर देता है, तो नींद इनको हमारे अन्दर स्थित आत्मा से ला कर देती हैं। 

इस प्रकार श्वसन और निद्रा- दोनों ही आत्मा की अन्तर्वती अवस्था और श्रेष्ठता, सभी प्राणियों में व्याप्त वह सत्यता जो हमारे अन्दर है, विभिन्नता के मध्य एकता, वह अचल यथार्थता जो तत्क्षण अनन्त गति को प्राप्त हो सकती है तथा उस एकमात्र ईश्वर को जिसके द्वारा श्वसन और निद्रा अपनी शक्ति प्राप्त करते हैं, हमें दिखाती हैं। उस ईश्वर को नमन, उस पराशक्ति को प्रणाम जो इस संसार को चलाती हैं। उस निद्रा देवी को प्रणाम जो अचेतन अवस्था में आपको लोरी सुनाती है, जिससे आप अगले दिन के काम के लिए जीवनी शक्ति प्राप्त कर सकें।

निद्रा बहुत से विशिष्ट सत्यों के लिए सूत्र प्रदान करती है। यह गुप्त रूप से प्रकट करती है कि आत्मा निःसन्देह एक सदृश और एक है। यहप्रकट करती है कि आत्मा समस्त कष्टों से परे और यह कि आत्मा एक शुद्ध आनन्द का पुंज है। निद्रा आपको यह बताती है कि जाग्रत अवस्था के समस्त अनुभव तथा कम या अधिक कष्टप्रद होते हैं। गहन निद्रा में अनुभूत किये जाने वाले सुख तथा उसके सदृश अनुभव आपको किसी भी प्रकार के भौतिक अनुभव में नहीं प्राप्त होते । गहन निद्रा में मात्र एक ही दोष है (जो कि सारी विभिन्नताओं का कारण है)। वह यह कि आप इसमें अपनी आत्मा के प्रति जाग्रत नहीं रहते। 

तुरीयावस्था सुषुप्ति के सदृश ही होती है; उसमें सबसे जीवित भिन्नता यह है कि तुरीयावस्था में आप आत्मा के प्रति चैतन्य रहते हैं। किन्तु यदि अनुभवों से जुड़े अन्य रूपों को देखा जाये, तो वे बिलकुल एक जैसे हैं। दोनों में से किसी भी अवस्था में दर्द की कोई अनुभूति नहीं होती। दोनों ही अनुभव सभी के लिए एक प्रकार के और सामान्य हैं। किन्तु ऐसा जाग्रत अवस्था के अनुभवों के साथ नहीं है। विषय-वस्तुएँ सभी को एक समान सुख नहीं देतीं, न ही वे एक मनुष्य को प्रत्येक बार एक-सा सुख प्रदान करती हैं। विषय-वस्तुओं से प्राप्त होने वाले सुख वास्तव में दुःख ही हैं।

कोई भी अनुभव जो मन को बहिर्मुखी बना कर मन और इन्द्रियों के संसर्ग पर प्रभाव डालता है, वह कष्ट ही है। कोई भी अनुभव जो मन को अपनी आत्मा की ओर ले जाता है, वही सच्चा सुख है। चेतना की दो अवस्थाओं गहन निद्रा की अवस्था और समाधि में मन स्वयं को इन्द्रियों और उनके विषयों से पृथक कर लेता है। यद्यपि स्वप्नावस्था में मन प्रत्यक्षतः इन्द्रियों और उनके विषयों से नहीं जुड़ा रहता, तो भी वह अपने आनन्दोपभोग हेतु स्वयं की वासनाओं की सहायता से स्वप्निल वस्तुओं की रचना करके उनसे खेलता रहता है। 

मन इस समय भी जाग्रत रहता है या अन्य शब्दों में यह इसके स्वयं के एकीकृत केन्द्र से दूर विषमता के क्षेत्र में अभी भी विद्यमान रहता है। वह मनुष्य जो कई प्रकार के स्वप्न देखते हुए सारी रात बिस्तर में करवट बदलते हुए बिताता है. जब जागता है तो उतना ही अप्रसन्न रहता है जितना कि वह व्यक्ति जो जागृत अवस्था में बुरी तरह असफल रहा हो। जाग्रतावस्था में मन इन्द्रियों से जुड़ा रहता है, चाहे अनुभव स्पष्ट रूप से कष्टप्रद या सुखदायक हों।




Bookअच्छी नींद कैसे सोयें | How To Sleep Well
AuthorSwami Shivananda Saraswati
LanguageHindi
Pages96
Size2 MB
FilePDF
CategoryLifestyle
DownloadClick on the button below

Pdf Download Button


Post a Comment