वृहद् हस्तरेखा शास्त्र (हस्तरेखा योग) हिंदी पुस्तक पीडीएफ | Vrihad Hastrekha Shastra (Hastrekha Yoga) Hindi Book PDF


Vrihad Hastrekha Shastra (Hastrekha Yoga) Hindi Book PDF

वृहद् हस्तरेखा शास्त्र (हस्तरेखा योग) हिंदी पुस्तक पीडीएफ | Vrihad Hastrekha Shastra (Hastrekha Yoga) Hindi Book PDF

परमात्मा ने मानव-जीवन की और विशेषकर मनुष्य की संरचना कुछ इस प्रकार से की है कि आज तक संसार के सारे वैज्ञानिक इस जटिल प्रक्रिया को सुल- झाने का जी-तोड़ प्रयत्न करने पर भी अपने उद्देश्यों में सफल नहीं हो पा रहे हैं। वे जितना ही ज्यादा इस प्रक्रिया को समझने का यत्न करते हैं, उतने ही ज्यादा उल- झते चले जा रहे हैं। इस विश्व में जितना भी ज्ञान और विज्ञान है उन सभी का ध्येय मानव और मानव के व्यवहार को समझना एवं उसे सुल पहुंचाना है, परन्तु यह सुख उसे तभी मिल सकता है जबकि वह मनुष्य के उन गोपन रहस्यों को पहले से ही जान ले, जोकि अचानक अनिश्चय के रूप में प्रकट होकर उसके सारे किये कराये पर पानी फेर देता है। 

यह 'भविष्य' एक ऐसा शब्द है जो अपनेआप में अत्यन्त गोप- नीय, जरूरत से ज्यादा जटिल तथा दुर्बोष है। विज्ञान के समस्त प्रकार इस मविष्य में होने वाली घटनाओं को समझने और सुलझाने का प्रयत्न कर रहे हैं परन्तु अभी तक वे अपने उद्देश्य में पूर्णतया सफल नहीं हो सके हैं। यदि इस 'रहस्य' पर कोई रोशनी डाल सकता है या उसे समझने में सहायक हो सकता है तो वह केवल 'सामुद्रिक शास्त्र' है, इसे सभी विद्वानों ने एक स्वर से स्वीकार किया है। 

मनुष्य सदा से भविष्य को जानने के लिए प्रयत्नशील रहा है। उसके दिमाग में अज्ञात मविष्य के प्रति बराबर आशंका बनी रहती है। वह यह सोचता है कि मैं जो वर्तमान में कार्य कर रहा हूं, और जिस पर अपने सारे जीवन का श्रम, बुद्धि और धन लगा रहा हूं, कहीं ऐसा न हो जाए कि भविष्य में मैं अपने प्रयत्नों में सफल न हो सकूं और ऐसा सोब-सोचकर वह एक अज्ञात प्राशंका से डरा-डरा सा रहता है। 

कभी-कभी ईश्वर पर भाश्चर्य और इसके ठीक बाद उसकी महानता के सामने मेरा सिर श्रद्धा से झुक जाता है कि वह कितना कुशल कारीगर है जिसमे भविष्य की सैकड़ों, लालों घटनाबों को टेढ़ी-मेढ़ी लकीरों के माध्यम से मनुष्य के हाथों में अंकित कर दिया है, और श्रद्धा होती है उन ऋषियों पर जिन्होंने अपनी तपस्या और दिव्य दृष्टि के माध्यम से इन रेखामों के रहस्य को समझा है, और आने बाली पीढ़ियों के लिए इस ज्ञान को सुलभ किया है। 

हाथ का अध्ययन करने के लिए कई तथ्य ध्यान में रहने आवश्यक हैं। सबसे पहली बात तो यह है कि किसी भी व्यक्ति के हाथ की केवल एक रेला देखकर ही उस पर अपना विचार दूढ़ नहीं बना देना चाहिए। क्योंकि केवल एक रेला ही उससे सम्बन्धित तथ्य को स्पष्ट नहीं कर सकती, अपितु उसकी सहायक रेखाएं भी उस तथ्य को स्पष्ट करने में सहायक होती हैं। जिस प्रकार रेल के एक इंजन में सैकड़ों छोटे-मोटे-कल-पूजें होते हैं और उन सभी कल-पुर्जों का अपने-अपने स्थान पर महत्व है। 

यदि उन पुर्जों में से एक भी पुर्जा रुक जाए तो एक प्रकार से पूरा इंजन ही रुक जाएगा, ठीक यही स्थिति हाथ में रेखाओं की है। यदि इन रेखाओं को देखने के साथ- साथ उनकी सहायक रेखाएं भली प्रकार से न देखें या उन सहायक रेखाभों का महत्व न समझै तो परिणाम में भयंकर गलती होने की संभावना हो जाती है।




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