श्री दुर्गा स्तुति - ऋषि चमन लाल भारद्वाज हिंदी पुस्तक पीडीएफ | Shri Durga Stuti - Rishi Chaman Lal Bhardwaj Hindi Book PDF Download
यह पुस्तक पूरे दो महीने की तपस्या तथा भगवत नाम कीर्तन, दुर्गा यज्ञ, गायत्री मन्त्र के निरन्तर जप और दुर्गा मन्दिरों की दिव्य मूर्तियों के दर्शन, महात्माओं के आशीर्वाद तथा साक्षात् देव कन्याओं की कृपा और म की प्रेरणा से लिखी गई है। इस पाठ का कोई भी शब्द घटाया या बढ़ाया न जाये, इसके हर शब्द 'चमन' नाम इत्यादि का भाव एक दूसरे पर निर्भर है। कोई भी अक्षर बदलकर पढ़ने से भयानक हानि हो सकती है। नकली पुस्तकों में अधूरा पाठ होने के कारण यर्थाथ फल की प्राप्ति नहीं होती।
इसका पाठ करने से हर प्रकार की कामना पूर्ण होती है। शुद्ध वस्त्र, शुद्ध अवस्था, शुद्ध भावना, शुद्ध मन से पाठ करें। पूरे पाठ के लिए सभी स्तोत्र पढ़ें। इस दुर्गा स्तुति के पाठ में वो शक्ति है, अगर श्रद्धा और विश्वास से इसका पाठ किया जाये तो महामाया जगदम्बा हर मनोकामना पूर्ण करती है। कम से कम इकीक्स दुर्गा स्तुति की किताबों को मन्दिर अथवा लोगों में बाँटने से पुण्य प्राप्त होता है। क्योंकि धारणा है कि पढ़ने वाले का पुण्य किताब बांटने वाले को भी मिलता है।
निष्काम भाव से रोजाना पढ़ने वाले यह पाठ करें, दुर्गा कवच, मंगला स्तोत्र, अर्गला स्तोत्र, कीलक स्तोत्र, काली, चण्डी, लक्ष्मी, संतोषी माँ स्तोत्र, नम्र प्रार्थना, नवदुर्गा स्तोत्र तथा आरती । हर प्रकार की चिन्ता हटाने के लिए प्रथम अध्याय । हर प्रकार के झगड़े जीतने के लिए दूसरा अध्याय।
शत्रु से छुटकारा पाने के लिए तीसरा, भक्ति-शक्ति या भगवती के दर्शन पाने के लिए चौथा व पांचवा अध्याय। डर, वहम, प्रेत छाया आदि हटाने के लिए छटा अध्याय, हर कामना पूरी करने के लिए सातवां अध्याय । मिलाप वशीकरण के आठवां गुमशुदा की तलाश, हर प्रकार की कामना पुत्रादि प्राप्त करने के लिए नवम् तथा दसवां अध्याय।
व्यापार, सुख सम्पति के लिए ग्यारहवां। भक्ति प्राप्त करने के लिए बारहवां अध्याय। मान तथा लाभ के लिए तेरहवां अध्याय। सफर पर जाने से पहले दुर्गा कवच श्रद्धा और शुद्ध भावना से पढ़ें। धन दौलत कारोबार के लिए चण्डी स्तोत्र, कलह कलेश चिन्ता से बचने के लिए महाकाली लक्ष्मी नव दुर्गा स्तोत्र पढ़िए यदि सारा पाठ न कर सकें तो दुर्गा अष्टनाम और नव दुर्गा स्तोत्र पढ़ें।
पाठ के समय गंगा जल साथ रखें, शुद्ध आसन बिछा कर बैठें, घी की जोत या सुगन्धित धूप जलाएं, पाठ के बाद चरणामृत पी लें और अपने मस्तक आंखें और अंगों को स्पर्श करें। मंगलवार को कन्या पूजन करें। कन्या सात वर्ष की आयु से कम होनी चाहिए।
ब्रह्म मुहूर्त में उठते समय जय जगदम्बे जय जय अम्बे का ग्यारह बार मुँह में जाप करें। शौच आदि से निवृत हो कर स्नान करने के बाद लाल रूमाल कन्धे पर रखकर पाठ करें। मौली दाई कलाई पर बांधे या बंधवा लें। आसन पर चौकड़ी लगा कर (बैठ कर ) हाथ जोड़ कर बोलें : "पौना वाली माता जी तुहाडी सदा ही जय।” भगवती मां के सामने घी की जोत जला कर पाठ प्रारम्भ करें।
मिट्टी का तन हुआ पवित्र गंगा के अश्नान से। अन्तः करण हो जाए पवित्र जगदम्बे के ध्यान से। सर्व मंगल मांगल्य शिवे सवार्थ साधके। शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमो स्तुते। शक्ति शक्ति दो मुझे करूं तुम्हारा ध्यान। पाठ निर्विघ्न हो तेरा मेरा हो कल्याण। हृदय सिंहासन पर आ बैठो मेरी मात।
सुनो विनय मम दीन की जग जननी वरदात। सुन्दर दीपक घी भरा करूं आज तैयार ज्ञान उजाला माँ करो मेटो मोह अन्धकार। चन्द्र सूर्य की रोशनी चमके 'चमन' अखण्ड। सब में व्यापक तेज है ज्वाला का प्रचण्ड। ज्वाला जग जननी मेरी रक्षा करो हमेश। दूर करो माँ अम्बिके मेरे सभी कलेश। श्रद्धा और विश्वास से तेरी जोत जलाऊं।
तेरा ही है आसरा तेरे ही गुण गाऊं। तेरी अद्भुत गाथा को पंढू मैं निश्चय धार। साक्षात् दर्शन करूं तेरे जगत आधार। मन चंचल से पाठ के समय जो औगुण होय। दाती अपनी दया से ध्यान न देना कोय। मैं अनजान मलिन मन न जानूं कोई रीत। अट पट वाणी को ही माँ समझो मेरी प्रीत। 'चमन' के औगुण बहुत है करना नहीं ध्यान। सिंह वाहिनी माँ अम्बिके करो मेरा कल्याण। धन्य धन्य माँ अम्बिके शक्ति शिवा विशाल अंग अंग में रम रही दाती दीन दयाल।
Book | श्री दुर्गा स्तुति / Shri Durga Stuti |
Author | Rishi Chaman Lal Bhardwaj |
Language | Hindi |
Pages | 133 |
Size | 11 MB |
File | |
Category | Hindi Books, Hinduism |
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