संन्यासी जिसने अपनी संपत्ति बेच दी हिंदी पुस्तक पीडीएफ | Sanyasi Jisne Apni Sampatti Bech Di Hindi Book PDF



Sanyasi Jisne Apni Sampatti Bech Di Hindi Book PDF


संन्यासी जिसने अपनी संपत्ति बेच दी हिंदी पुस्तक पीडीएफ | Sanyasi Jisne Apni Sampatti Bech Di Hindi Book PDF Download

अदालत के खचाखच भरे एक कमरे के बीचों-बीच वह अचानक गिर पड़ा। वह इस देश के सुप्रसिद्ध अभियोजन वकीलों में से एक था। वह एक ऐसा व्यक्ति था, जो अपने सुगठित शरीर की शोभा बढ़ानेवाले तीन-तीन हजार डॉलर के कीमती सूटों के लिए भी उतना ही विख्यात था जितना कि कानूनी जीतों की उल्लेखनीय श्रृंखला के लिए। मैंने जो कुछ अभी देखा था उसके आकस्मिक आघात् से सन्न खड़ा रह गया। प्रतिष्ठित जूलियन बीमारी का शिकार हो गया था और अब वह असहाय अबोध शिशु की तरह जमीन पर पड़ा तड़प रहा था और पागल की तरह कांप रहा था तथा साथ पसीने से तरबतर था। उस क्षण ऐसा अनुभव हुआ मानो समय की गति धीमी हो गई है। 'हे भगवान्, जूलियन संकट में हैं!' उनकी सहायक वकील भावुकता से चीखी। 

हम सबकी दृष्टि उस ओर गई। न्यायाधीश महिला भी दुखी दिखाई दी। उन्होंने तुरन्त अपने निजी फोन पर, जो उन्होंने आकस्मिक स्थिति में उपयोग के लिए लगवाया था, धीरे से कुछ कहा। जहां तक मेरा सवाल है, मैं तो हक्का-बक्का स्तब्ध खड़ा रह गया। अरे अनुभवी मूर्ख, अभी मत मरो। अभी तुम्हारा मरना बहुत जल्दबाजी होगी। तुम्हें इस तरह मरना शोभा नहीं देता। न्यायालय का मोहर्रिर जो अब तक यन्त्रवत् खड़ा था, एकदम गति में आ गया और भूमि पर पड़े हुए विधिनायक की सी. पी. आर. बनानी शुरू कर दी। सहायक वकील उनके पास ही खड़ी थी। उसके लम्बे, सुनहरे, घुंघराले बाल जूलियन के लाल चेहरे पर पड़ रहे थे। वह उसे कोमल शब्दों में सांत्वना दे रही थी, जो निश्चय ही उसे सुनाई नहीं दे रहे थे।

मैं पिछले 17 वर्षों से जूलियन से परिचित था हमारी पहली मुलाकात तब हुई थी जब मैं कानून का युवा विद्यार्थी था और मुझे उसके किसी पार्टनर ने समर रिसर्च इंटर्न के रूप में रखा था। उस समय भी उसके पास सब कुछ था। वह प्रतिभावान, सुन्दर और निडर जिरह करनेवाला वकील था। वह प्रसिद्धि के स्वप्न देखता था; भविष्य में जिसे बहुत ही सफल वकील बनना था। मुझे आज भी वह दिन याद है जब एक बार मैं देर रात काम करके उसके भव्य ऑफिस के पास से गुजर रहा था, तो मैंने चुपके से उसकी लकड़ी की विशाल डेस्क की तरफ नज़र डाली। मैंने देखा कि उस पर चौखटे में एक उद्धरण जड़ा हुआ था। यह उद्धरण विंसटन चर्चिल का था तथा जूलियन के बारे में बिल्कुल सही था। 

मुझे पूर्ण विश्वास है कि आज हम अपने भाग्य के निर्माता हैं, जो काम हमारे सामने है वह हमारी शक्ति से परे नहीं है, तथा इसको पूरा करने के लिए जो कष्ट सहना पड़ेगा और जो परिश्रम करना पड़ेगा वह भी हमारी सहनशक्ति से अधिक नहीं है। जब तक हमें अपने प्रयोजन और जीतने की अजेय इच्छाशक्ति पर विश्वास है, सफलता हमसे दूर नहीं रह सकती। जूलियन ने इसी का अनुकरण किया। वह कठोर परिश्रमी व्यक्ति था और सफलता प्राप्त करने के लिए, जिसे वह अपनी नियति समझता था, दिन में 18 घंटे कार्य करना पसन्द करता था। मैंने लोगों के मुंह सुना था कि उसके पितामह सुप्रसिद्ध सभासद् रहे थे और उसके पिता फेडेरल कोर्ट के अत्यन्त सम्मानित न्यायाधीश के पद पर रहे थे। 

यह स्पष्ट था कि वह धनी परिवार से था। उससे उसके परिवार को बड़ी आशाएं थीं। एक बात तो मुझे स्वीकार करनी पड़ेगी कि उसने अपना जीवन स्वयं बनाया था। वह अपने तरीके से काम करने का आदि था और उसे दिखावा भी पसन्द था। न्यायालय में जूलियन के आक्रामक नाटकीय कथन सुर्खियों में रहा करते थे। धनवान प्रतिष्ठित लोगों को जब कभी कुशल कानूनी विशेषज्ञ की तीखी बहस की आवश्यकता होती थी, तब वे जूलियन के पास ही आते थे। उसकी बाहरी गतिविधियां भी विख्यात थीं। नगर के सर्वश्रेष्ठ रेस्त्रां में युवा, . सेक्सी मॉडलों के साथ देर रात में जाना अथवा दलालों के उद्दंड दल के साथ मन बहलाव के लिए अत्यधिक शराब पीना उनसे सम्बन्धित किंवदन्तियों के आधार थे।

मुझे आज तक इस बात का पता नहीं चला कि उसने उस सनसनीखेज मर्डर केस में साथ काम करने के लिए, जिस पर उसको गर्मी में बहस करनी थी, मुझे ही क्यों चुना। यद्यपि मैंने हार्वर्ड लॉ स्कूल से ग्रेजुएशन किया था जहां से उसने भी किया था, फिर भी मैं न तो फर्म का सबसे बुद्धिमान् इंटर्न था और न ही मेरा जन्म उच्च कुल में हुआ था। मेरे पिता ने नौसेना से काम छोड़कर सारी उम्र एक बैंक में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की थी। मेरी मां साधारण तरीके से ब्रॉन्क्स में पली-बढ़ी थीं। फिर भी जूलियन ने उन सबमें से, जो चुपचाप उसके साथ सहायक के रूप में काम करने का प्रयत्न कर रहे थे, मुझे उस केस में अपने सहयोगी के रूप में चुना।





Bookसंन्यासी जिसने अपनी संपत्ति बेच दी / Sanyasi Jisne Apni Sampatti Bech Di
AuthorRobin Sharma
LanguageHindi
Pages168
Size2 MB
FilePDF
CategoryHindi Books, Story
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