स्वामी हरिदास जी हिंदी पुस्तक पीडीएफ | Swami Haridas Ji Hindi Book PDF



Swami Haridas Ji Hindi Book PDF


स्वामी हरिदास जी हिंदी पुस्तक पीडीएफ | Swami Haridas Ji Hindi Book PDF Download

स्वामी हरिदास जी व्रज की महान् विभूति थे। मध्य कालीन उपासना, भक्ति, संगीत और साहित्य के क्षेत्र में उनका नाम सदा से ही अमर है। वे ब्रज की राधा-कृष्णोपासना के एक विशिष्ट मत के प्रवर्तक और संगीत के विख्यात आचार्य थे। सांस्कृतिक जगत् में वे धर्माचार्य की अपेक्षा संगीताचार्य के रूप में अधिक प्रसिद्ध हैं। तानसेन जैसा सर्व- मान्य गायक उनका शिष्य कहा जाता है। उनकी जीवनचर्या के अध्ययन से ज्ञात होता है कि संगीत उनका लक्ष नहीं था; वह तो उनकी उपासना और भक्ति का एक साधन मात्र था। फिर भी संगीत के क्षेत्र में उनकी जो विशिष्ट देन है, उसे किसी भी प्रकार से कम नहीं समझा जा सकता। इसी प्रकार उनकी वारणी परिमाण में स्वल्प होते हुए भी भावना की दृष्टि से अपना पृथक् साहित्यिक महत्व रखती है। प्रस्तुत पुस्तक उन्ही की महान गाथा को बयान करती है।

हिंदी साहित्य में अब तक कोई ऐसी दूसरी पुस्तक नहीं छपी थी, जिससे स्वामी जी की जीवनी, वाणी और संप्रदाय के संबंध में समुचित प्रकाश डाला जा सके। प्रस्तुत पुस्तक उसी कमी की पूर्ति का एक छोटा सा प्रयास है। आशा है, भविष्य में अधिकारी विद्वानों द्वारा इसकी बृहत् और सर्वांग- सुदर रूप में पूर्ति हो सकेगी। स्वामी जी की जीवनी से संबंधित कई बातें विवादग्रस्त जिनका वर्णन इसमें दिया गया हैं। हमारा उद्देश्य किसी विवाद में न पड़ कर जीवनी के सर्वमान्य तथ्यों को प्रस्तुत करना है। स्वामी जी की वाणी 'सिद्धांत के पद' और 'केलिमाल' के नाम से उपलब्ध है। इसके यथार्थ ममं से हरिदासी विद्वानों के अतिरिक्त अन्य व्यक्ति अभी तक प्रायः अपरिचित ही हैं। इसे हम सभी श्रद्धालु पाठकों के लिए सुलभ करना चाहते हैं।

इसके साथ ही स्वामी जी की परंपरा के प्राचार्यों और उनके अनुगामी भक्त कवियों की जीवनी और रचनाओं का संक्षिप्त परिचय देना भी आवश्यक है। स्वामी हरिदास जी की भाषा में एक विचित्र प्रकार का 'बाँकावन' है और उनके भावों में असाधारण रहस्यात्मकता है। इनके कारण उनकी वारगी जहाँ अधिकारी विद्वानों को महत्वपूर्ण ज्ञात होती है, वहां साधारण पाठकों को विशिष्टता रहित एक साधारण सी रचना जान पड़ती है। जब हिंदी साहित्य के सर्वमान्य विद्वान तक इसके संबंध में यथार्थ मत नहीं बना सके, तब साधारण पाठकों से और क्या आशा की जा सकती है ! 

इसके प्रतिकार के लिए यह आवश्यक था कि अधिकारी विद्वान स्वामी जी की वाणी को समुचित टीका-टिप्पणी के साथ प्रकाशित करते; किंतु इसके विरुद्ध वे इसे सर्व साधारण से छिपाने के लिए अप्रकाशित रखना ही श्रेयष्कर समझते हैं ! आज के वैज्ञानिक युग में कोई वस्तु छिप नहीं सकती। अब तो अंतरिक्ष तक का रहस्योद्धाटन होने लगा है ! ऐसी दशा में स्वामी जी की वाणी को छिपाने की चेष्टा व्यर्थ है। इस प्रकार के विफल प्रयास का यह दुष्परिणाम होता है कि अनधिकारी व्यक्ति इसे विकृत रूप में प्रस्तुत करते हैं, जिससे श्रद्धालु जनों को भी रुचि हो जाती है।

हमारा विचार बहुत दिनों से स्वामी जी की वाणी को सटीक रूप में लोगो के बीच उपस्थित करने का रहा है। इसके लिए हमने हरिदासी संप्रदाय के विद्वानों से परामर्श किया और उसके मर्म को समझने की चेष्टा की। वे लोग सिद्धांत के पदों को तो सटीक रूप में प्रस्तुत करने से कोई हानि नहीं मानते हैं; किंतु केलिमाल की टीका प्रकाशित करना अभी उचित नहीं समझते! उनके मत का पूर्ण आदर करने के लिए इस समय हम सिद्धांत के पदों को टीका सहित और केलिमाल को मूल रूप में ही आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं। अभी तक केलिमाल की जो हस्त लिखित और 'मुद्रित प्रतियाँ मिलती हैं, उनके पाठ में बड़ी गड़बड़ी है। हमने इसे यथा संभव शुद्ध रूप में प्रकाशित करने की चेष्टा की है। 

सिद्धांत के पदों की प्रस्तुत टीका से ही सभी पाठकों को यह भली भांति ज्ञात हो जाएगा कि स्वामी जी की वाणी के विशिष्ट मर्म को समुचित टीका टिप्पणी के बिना समझना कितना मुश्किल है। हमें आशा है कि पुस्तक के आगामी संस्करण में हम सिद्धांत के पदों की भाँति केलिमाल को भी टीका-टिप्पणी के साथ सभी के सामने उपस्थित कर सकेंगे। इस पुस्तक में प्रकाशित वाणी पाठ संशोधन में बाबा विश्वेश्वर शरण जी द्वारा संपादित 'स्वामी हरिदास रस-सागर' पुस्तक से अधिक सहायता ली है और इसमें दिये हुए अधिकांश चित्र संगीत कर्यालय, हाथरस के ब्लाकों से छापे गये हैं। 


Bookस्वामी हरिदास जी / Swami Haridas Ji
AuthorPrabhu Dayal Mital
LanguageHindi
Pages171
Size53 MB
FilePDF
CategoryHindi Books, Biography
DownloadClick on the button below

Pdf Download Button

Post a Comment