शामे करबला हिंदी पुस्तक पीडीएफ | Sham E Karbala Hindi Book PDF



Sham E Karbala Hindi Book PDF


शामे करबला हिंदी पुस्तक पीडीएफ | Sham E Karbala Hindi Book PDF Download

अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है: "जो इताअत करते हैं अल्लाह और रसूल की तो वह उन लोगों के साथ होंगे जिन पर अल्लाह ने इआम फरमाया यानी अंबिया और सिद्दीकीन और शोहदा और सालेहीन और यह साथी क्या ही अच्छे हैं।"(सूरः निसा -69) इस आयत से दो बातें साबित हुई एक यह कि जो लोग अल्लाह तआला और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के मुतीअ व फरमा बरदार हैं उनको नबियों, सिद्दीकों, शहीदों और सालेहीन की रिफाकत व मईयत हासिल होगी। दूसरा यह कि नुबुब्बत, सिद्दीकियत, शहादत और सालेहीयत अल्लाह तआला के ईआमात हैं। हुजूर सैयदे आलम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की जाते अक्दस में हर वह इंआम और हर वह कमाल जो किसी भी मख्लूक को अता हुआ बदरजा अतम मौजूद था।

बल्कि जिस किसी को कोई इंआम व कमाल मिला वह आप ही की बदौलत मिला। तमात अबिया, सिद्दीकीन, शोहदा और औलिया में जिस केंद्र भी जमाल व कमाल है वह जिल्ल और अक्स है जमाल व कमाले मुहम्मदी सल्लल्लाहु अलैहि व आलेही व सल्लम का। क्योंकि आप असल काइनात हैं। आपकी जात काइनात के हर हर फर्द के लिए तमाम फुयूज़ व बरकात का ज़रिया और वसीला है। जिस तरह जड़ पूरे दरख्त की ताज़गी और फलों के जमाल व कमाल का बाइस होती है इसी तरह आपकी जात तमाम आलमीन के लिए हर किस्म के ईआमात व कमालात का बाइस है। शहादते जहरी और शहादते सिर्री यानी ऐलानिया और पोशीदा, शहादते जहरी यह है कि एक मुसलमान अल्लाह की राह में आला-ए-कलिमतुल्लाह के लिए अल्लाह तआला और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के दुश्मनों से लड़ता हुआ और तरह तरह की तकलीफें और मुसीबतें बर्दाश्त करता हुआ ऐलानिया जान दे दे। 

शहादते सिर्री यह है कि किसी के जहर देने से या ताऊन की वबा से या अचानक किसी हादसा का शिकार हो जाए मसलन कोई इमारत गिर जाए और यह नीचे आकर दब जाए या कहीं आग लग जाए और यह जल जाए या तैरता और नहाता हुआ या सैलाब की वजह से डूब जाए या तलबे इल्मे दीन या सफरे हज, या पेट और सिल और दिक के मर्ज़ में इंतिकाल कर जाए और औरत हालते निकास में मर जाए। इमाम फ़ख़रुद्दीन राज़ी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं- शहीद यह शख्स है जो अल्लाह तआला के दीन की सेहत व सदाकत की कभी तो दलील व बुरहान और कुव्वते ब्यान से और कभी शम्शीर व सिनान से शहादत दे और अल्लाह की राह में कत्ल होने वाले को भी इसी मुनासिबत से शहीद कहा जाता है।

इस माना के मुताबिक तस्लीम करना पड़ेगा कि शहादत का इंआम व कमाल हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की जाते मुबारक में बदरजा अतम मौजूद था। इसलिए कि अल्लाह तआला के दीन की हक्कानियत की जिस तरह आपने बेशुमार दलाइल व बराहीन और रोशन व्यानात य मोजजात के साथ शहादत दी है और किसी ने नहीं दी कौन नहीं जानता कि उसी दिन हक की सदाकत की शहादत के सिलसिले में ही आपने मक्का मुकर्रमा में मुसलसल तेरह साल तक नाकाबिले बर्दाश्त अजीयतें बर्दाश्त की गलियों, बाजारों और ताइफ के मैदान में पत्थर खाए और निहायत नाजेबा किस्म के कलिमात सुने। 

चुनांचे फरमाया जिस कद्र मैं अल्लाह तआला की राह में सताया गया हूँ कोई पैगम्बर नहीं सताया गया। यहाँ तक कि वतन और घर बार छोड़ दिया। मदीना मुनव्वरा में आ कर बहुत सी जंगों में बनफ्से नफीस शिर्कत फरमा कर शम्शीर व सिनान के साथ भी गवाही दी। अल्लामा इमाम जलालुद्दीन सुयूती रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं। इमाम बुखारी और इबाम बैहकी ने हज़रत आइशा से रिवायत की उन्होंने फ़रमाया कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व आलेही व सल्लम अपने मर्जे वफात में फरमाते थे कि मैंने ख़ैबर में जो ज़हर आलूद गोश्त खाया था उसकी तकलीफ हमेशा महसूस करता रहा हूँ।

तो अब वह वक्त आ पहुँचा कि उसी ज़हर के असर से मेरी रंगे जान मुन्कृतअ हो। मालूम हुआ कि जिस तरह शहादते जहरी की हकीकत आपकी जात पर पूरी हुई थी उसी तरह शहादते सिर्री की हकीकत भी आपकी जात पर पूरी हुई कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को जहर दिया गया मगर उसके असर से फिल-फौर आपकी वफात वाके न हुई इसलिए यहाँ भी वही बाद-ए-खुदावन्दी वल्लाहु यासिमुका मिनन्नासे इसके लिए मानेअ हुआ और जहर का आप पर असर अंदाज़ न होना आपका मोजजा हो गया। जब यह साबित हो गया कि दोनों शहादतों की हकीकत आपकी जात पर पूरी हुई, तो अब यह देखिए कि उन दोनों शहादतों का जुहूर कहाँ जा कर हुआ।





Bookशामे करबला / Sham E Karbala  
AuthorMuhammad Shafia Okarwi
LanguageHindi
Pages132
Size108 MB
FilePDF
CategoryIslamic Book, Hindi Book
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