रावण आर्यव्रत का शत्रु हिंदी पुस्तक पीडीएफ | Ravan Aryavart Ka Shatru Hindi Book PDF Download
इस पुस्तक को चुनने और मुझे अपनी सबसे महत्वपूर्ण चीज: समय, देने के लिए शुक्रिया। मैं जानता हूँ कि आपमें से बहुत लोग बहुत धैर्य के साथ राम चन्द्र श्रृंखला के तीसरे भाग के रिलीज़ होने की प्रतीक्षा करते रहे हैं। देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ, और मुझे आशा हैं कि यह किताब आपकी अपेक्षाओं पर खरी उतरेगी। आपमें से कुछ लोग सोच रहे होंगे कि मैंने इसका नाम रावण - आर्यवर्त का अनाथ से बदल कर रावण - आर्यवर्त का शत्रु करने का फ़ैसला क्यों किया। तो रावण की कहानी लिखते हुए मुझे उस व्यक्ति के बारे में कुछ बातें समझ आयीं। रावण जब बच्चा था तभी से उसके मन में उन परिस्थितियों के खिलाफ गुस्सा भर गया था, जिनमें वो खुद को पाता था।
वो किसी हद तक अपनी नियति का नियन्ता था। शुरू में मुझे महसूस हुआ कि रावण को अपनी मातृभूमि से दूर कर दिया गया था और इस तरह, इस मायने में, वो अनाथ था। मगर जैसे-जैसे मेरे दिमाग़ में कहानी बुनती गयी, मुझे महसूस हुआ कि वो फ़ैसले सोच- समझकर लिए गये थे जो उसे उसकी मातृभूमि से दूर ले गये थे। उसने अनाथ की भूमिका में ढाले जाने की अपेक्षा शत्रु बनना चुना था। जैसा कि आपमें से कुछ लोग जानते होंगे, मैं कहानी कहने की हाइपरलिंक नाम की शैली से प्रभावित हूँ, जिसे कुछ लोग बहुरैखिक कथानक कहते हैं।
इस तरह के कथानक में बहुत सारे पात्र होते हैं, और एक सूत्र उन सबको साथ लाता है। राम चन्द्र श्रृंखला में तीन मुख्य पात्र राम, सीता और रावण हैं। प्रत्येक पात्र के अपने जीवन-अनुभव हैं जो उन्हें वो बनाते हैं जो वो हैं, और प्रत्येक के जीवन में अपना एडवेंचर, और दिलचस्प बैकस्टोरी है। आखिरकार, सीता के अपहरण के साथ उनकी कहानियाँ एक होती हैं। तो हालांकि पहले भाग ने राम की कहानी को और दूसरे ने सीता की कहानी को खोजा था, तीसरा रावण की ज़िन्दगी को खंगालता है, और फिर तीनों एक चौथी पुस्तक से एकाकार होकर एक कहानी बन जायेंगे।
यह याद रखना महत्वपूर्ण हैं कि रावण सीता और राम दोनों से कहीं अधिक आयु का है। वास्तव में, राम का जन्म उस दिन हुआ था जब रावण ने एक निर्णयात्मक लड़ाई लड़ी थी। इसलिए यह पुस्तक काल में और पीछे जाती हैं, अन्य मुख्य पात्रों-सीता और राम का जन्म होने से पहले मैं जानता था कि बहुरैखिक कथानक में तीन किताबें लिखना जटिल मामला है, मगर मैं स्वीकार करूँगा कि यह बहुत उतेजना भरा था। मुझे आशा है कि आपके लिए भी यह उतना ही फलदायक और रोमांचकारी अनुभव होगा जितना मेरे लिए रहा है।
राम, सीता और रावण को पात्रों के रूप में समझने से मुझे उनकी दुनियाओं में रहने, और षड्यन्त्रों और कहानियों की उस भूलभुलैया को खोजने में मदद मिली जो इस महागाथा को प्रकाशित करती हैं। इसके लिए मैं वाकई अनुग्रहीत महसूस करता हूँ। चूँकि मैं एक बहुरैखिक कथानक पर चल रहा था, इसलिए मैंने पहली पुस्तक के साथ ही दूसरी पुस्तक सीता मिथिला की योद्धा में भी ऐसे संकेत छोड़े हैं जो तीसरी पुस्तक की कहानियों से जुड़ते हैं। यहाँ आपके लिए अनेक आश्चर्य और पेंच हैं, और बहुत से आगे आयेंगे ! मुझे आशा है कि आपको रावण : आर्यवर्त का शत्रु पढ़ने में आनन्द आयेगा।
Book | रावण आर्यव्रत का शत्रु / Ravan Aryavart Ka Shatru |
Author | Amish Singh |
Language | Hindi |
Pages | 285 |
Size | 4.6 MB |
File | |
Category | Hindi Books, Hinduism |
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