पंजाब का इतिहास हिंदी पुस्तक पीडीएफ | Punjab Ka Itihas Hindi Book PDF



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पंजाब का इतिहास हिंदी पुस्तक पीडीएफ | Punjab Ka Itihas Hindi Book PDF Download

काफी देर से यह आवाज़ कानों में आ रही थी कि सर्वसाधारण के लिए हिंदी में पंजाब का इतिहास नहीं है, इस अभाव की पूर्ति होनी चाहिए । कुछ एक अधिकारी सज्जनों से इस विषय में कहा गया, परंतु एक या दूसरे कारण से यह काम नहीं हुआ। इस देश में पत्रकार तो प्रायः ऐसी पुस्तकें लिख ही नहीं सकते जिनमें अन्य ग्रन्थों का आधार लेना पड़े कारण, हिन्दी पत्रकार की वर्तमान परिस्थिति में उसके पास इतना समय नहीं रहता। लेकिन भला हो रोग का कि उसके कारण लगभग तीन मास तक वर्तमान लेखक को घर पर कैद रहना पड़ा । मित्रों आदि से मिलना ख़तरनाक था। इसलिए अपने पूज्य पूर्वपुरुषों की सुसंगति का सौभाग्य मिल गया। बहुत आनंद प्राप्त हुआ। उसी का यह एक फल है। 

एक दृष्टि से यह इतिहास नहीं है। इसमें तो प्रायः उन आन्दोलनों कावृत है जो इस प्रांत के हिन्दुओं के द्वारा भिन्न-भिन्न समयों पर चलाये गये हैं। वे आन्दोलन राजनीतक थे, सामाजिक, धार्मिक, साहि- त्यिक और सांस्कृतिक भी। इन्हीं के अध्ययन को इस पुस्तक में प्रकार से इतिहास समझा गया है। एक पुस्तक में छोटे-बड़े दस प्रकरण हैं। यहाँ हम एक-एक प्रकरण को लेते हैं। पहले में इतिहास का विवेचन किया गया है। इतिहासबेत्ता सीले का मत है कि इतिहास और राजनीति वास्तव में एक ही विद्या के दो नाम हैं। इतिहास के विद्यार्थी को इसके अध्ययन से सब से बड़ा प्रसाद यह मिलता है कि उसे स्थूल रूप से वे घटनाएँ भी दिखाई देने लगती हैं जो भविष्य के गर्भ में छिपी होती हैं।

जिस मनुष्य को इतिहास का सत्य ज्ञान है वह श्रागे होनेवाली बातें मोटे तौर पर बता सकता है। इस दृष्टि से इतिहासबेत्ता को राजनीतिक ज्योतिषी भविष्य वक्ता कहा जा सकता है। दूसरे प्रकरण से पंजाब का इतिहास आरंभ होता है। संसार के इतिहास में भारत का क्या स्थान है ? ओर, भारत के इतिहास में पंजाब का क्या महत्त्व है ? इस प्रकार की बातें इस प्रकरण में दी गई हैं। तीसरा प्रकरण बड़े महत्त्व का है। इसका संबंध वेद और वैदिक साहित्य से है। इससे पता चलता है कि हिंदुओं के पूर्वजों ने किस प्रकार दक्षिण भारत, ईरान, असीरिया, बेबिलोनिया, मिस्र आदि में अपनी सभ्यता का प्रसार किया। 

आध्यात्मिकता तथा शास्त्र-दर्शन की दृष्टि से ये लोग कितने ऊँचे उठे, यह बात उपनिषदों के अध्ययन से मालूम हो जाती है। चौथे प्रकरण के आधार स्तंभ रामायण तथा महाभारत हैं। इन दो के अतिरिक्त भगवद्गीता एक महारत है। जो जाति या सभ्यता ऐसे रनों का निर्माण कर सकती है वह कभी मर नहीं सकती। उसे तो शायद अमरत्व का वरदान मिला हुआ है।

पाँचवें प्रकरण से पता चलता है कि प्राचीन हिंदु एकांगी नहीं थे। वे सभी क्षेत्रों में उन्नति करना जानते थे। विदेशियों को वे आक्रमणकारी के रूप में अपने यहाँ आने की इजाजत नही दे सकते थे। वे अतिथि के तौर पर आते तो हिंदू उनका आदर-सत्कार करते। यही नहीं, अपनी संस्कृति के प्रसार के लिए अनेकों विद्वान् राजकुमारों तथा अन्य वर्गों के युवकों ने गृहस्याग कर चीन आदि देशों में जीवन व्यतीत किया और पूर्व तथा पश्चिम के अनेक देशों में हिंदू सांस्कृतिक साम्राज्य स्थापित किया।





Bookपंजाब का इतिहास / Punjab Ka Itihas
AuthorDharmaveer
LanguageHindi
Pages721
Size45 MB
FilePDF
CategoryHistory, Hindi Books
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