बुद्ध की करुणा हिंदी पुस्तक पीडीएफ | Buddha Ki Karuna Hindi Book PDF



Buddha Ki Karuna Hindi Book PDF


बुद्ध की करुणा हिंदी पुस्तक पीडीएफ | Buddha Ki Karuna Hindi Book PDF Download

(दौड़ते हुए घोड़ों के टापों की आवाज, बीच में एक की पुकार, “कुमार, कुमार! जरा रुको!” घोड़ों के टापों की आवाज खत्म हो जाती है ।)

दूसरा बालक (शिकायत के स्वर में ) तुम तेज भागते हो कुमार । तो बहुत

पहला बालक : देखो, मैं और मेरा घोड़ा दोनों पसीने से बिल्कुल तर हो गए हैं 1

तीसरा बालक : यहीं उतर पड़ो। देखते हो यह कितना प्यारा है। इस हरे-भरे मैदान के चारों तरफ यह घने काले जंगल कितने अच्छे लगते हैं।

पहला बालक: हाँ, सामने के उस जलाशय में जंगल के तमाम जानवर पानी पीने आते हैं। शिकार के लिए इससे अच्छी जगह कोई नहीं है। (सबके उतरने की आवाज ।)

दूसरा बालक: मुझे याद आ गया कुमार! एक दिन दयामित्र यहीं तेजी से चक्कर काटते हुए एक बाज पर बहुत देर निशाना लगाता रहा। उसके तरकश के कितने ही तीर खाली हो गए लेकिन बाज वैसे ही उड़ता रहा। एक भी तीर नहीं लगा । हम लोग उस समय तुम्हारी याद कर रहे थे। तुम होते तो वह नहीं बच पाता । तुम्हारा निशाना कितना अचूक है।

तीसरा बालक : ( जोर से हँसते हुए) वाह दयामित्र ! तुम तो अपने निशाने की बड़ी तारीफ करते थे। एक छोटा-सा बाज तक सके ।

दयामित्र : देखो विहाग! तुम मजाक मत उड़ाओ। यह तो समय-समय की बात है। निशाना सबका चूक सकता है और रहा विश्वमित्र, वह तो चापलूस है। आज कुमार को देख कर उसकी प्रशंसा कर रहा है और उस दिन मुझसे कह रहा था, इसका निशाना तो स्वयं कुमार लगा सकते थे ।

विश्वमित्र : (बात काट कर कुछ आवेश में) दयामित्र ! झूठ-मूठ का दोष मैं सहन नहीं कर सकता। अपनी झेंप मिटाने के लिए मुझ पर आक्षेप क्यों करते हो?

दयामित्र : झेंप कैसी? तुम्हीं ने कौन उसे मार गिराया था !

विश्वमित्र: मैंने तो प्रयास ही नहीं किया।

कुमार : तुम लोग क्यों झगड़ते हो? यह देखो सामने पहाड़ी की हरी-हरी ढाल, ऊपर वृक्षों की आड़ में झाँकता हुआ सूरज, नीचे जलाशय के एक किनारे सोई हुई छाँह और दूसरे किनारे सोई हुई धूप सब कितना अच्छा है। मैं तो यहाँ कुछ देर बैठ कर इस सुन्दर दृश्य को जी भर कर देखूंगा। तुम लोग चाहो तो जाकर शिकार खेल आ सकते हो। उसके बाद मुझे ले लेना ।

विहाग : मैं तो नहीं जाऊँगा। मुझे तो इन लताओं और झाड़ियों के फूल बहुत पसन्द हैं। मैं तो इसका एक मुकुट बनाऊँगा। मुझे तो सोने के मुकुट से ये फूलों के मुकुट ज्यादा सुन्दर लगते हैं ।

दयामित्र : नहीं कुमार ! आज तुमको हम लोगों के साथ शिकार खेलना पड़ेगा। यह नहीं हो सकता कि नित्य की भांति आज आप यहां के बैठ रह जाए।

विश्वमित्र : तुम जिद क्यों करते हो, यदि उनकी इच्छा नहीं है!

दयामित्र : हाँ-हाँ, तुम तो चाहोगे ही। लेकिन आज हमारा - तुम्हारा निर्णय होकर रहेगा। तुम्हारी शेखी अब मैं ज्यादा नहीं सह सकता। तुम भी देख लो कि मेरा निशाना तुमसे कहीं अच्छा है ।

विश्वमित्र : यदि तुम्हारी यही इच्छा है तो यही सही । मुझे कोई आपत्ति नहीं है ।

विहाग: (एक बनावटी लम्बी साँस भर कर ) अच्छी बात है। तब फिर जो जीतेगा मैं अपना मुकुट उसे दे दूँगा ।

कुमार : थोड़ा चुप भी रहो (कहीं दूर से आती बाँसुरी की आवाज ) कितनी अच्छी बांसुरी बजा रहा है। कोई !

विहाग सचमुच ।

दयामित्र : ( लापरवाही से ) कोई चरवाहा होगा।

कुमार : नहीं विहाग, मुझे सचमुच यहाँ बैठने पर शान्ति का अनुभव होता है। अपने महल के फूल और पेड़ों से मुझे ये जंगली फूल और पेड़ ज्यादा अच्छे लगते हैं 1

विहाग : इसलिए कि तुम यहाँ थोड़ी देर के लिए आते हो। अगर कुछ दिनों रहना पड़े तो पता चल जाए । हर नई चीज अच्छी लगती है। जंगलों का जीवन तुम्हारे लिए नया है इसीलिए अच्छा लगता है। रहना पड़ जाए तब अच्छा नहीं लगेगा, जान छुड़ाओगे ।

कुमार तो विहाग, राजमहलों की तरह जंगल भी अच्छे नहीं हैं। फिर इस दुनिया में कौन-सी जगह अच्छी है?

विहाग : मैं नहीं जानता। इतना अवश्य है कि अपने पिता के साथ मुझे एक बार दो-चार दिनों के लिए जंगल में रहना पड़ा था। मेरी तो तबियत ऊब गई थी। कुमार तो क्या तुम्हें महल लगते हैं?

विहाग क्यों नहीं, मुझे सब अच्छा लगता है। मेरी जान छोड़ो। तुम तो जिस को पकड़ते हो उसके पीछे इतना अधिक पड़ जाते हो कि मुझे तुमसे डर लगने लगता है। फिर अभी तुम पूछोगे महल क्यों अच्छा लगता है? जंगल क्यों नहीं अच्छा लगता?

कुमार: तुम तो बिगड़ जाते हो। लेकिन विहाग, कभी मैं जंगल में अवश्य रहकर देखूँगा ।

विहाग : रहना भाई, रहना। इस समय तो कान न खाओ। देखते हो तुम, तुमने इस तरह की बात करनी शुरू नहीं की कि विश्वमित्र और दयामित्र का मुँह फूल गया। दयामित्र तो मारे क्रोध के अपनी तलवार से उस झाड़ी की तमाम शाखाएँ काटे डाल रहा है।





Bookबुद्ध की करुणा / Buddha Ki Karuna
AuthorSarveshwar Dayal Saxena
LanguageHindi
Pages10
Size8 MB
FilePDF
CategoryHindi Books, Inspirational
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