भारत की आजादी में सिखों का योगदान हिंदी पुस्तक पीडीएफ / Bharat Ki Aazadi Me Sikho Ka Yogdan Hindi Book PDF
भारत में सिखों की आबादी यहाँ की कुल जनसंख्या का दो प्रतिशत भी नहीं है, पर देश की स्वतन्त्रता के लिये की गई कुर्बानीयाँ, देश स्वतन्त्रता की रक्षा के सम्बन्ध में निभाई जा रही जिम्मेवारी और देश के निर्माण में इनकी ओर से किया गया योग दान बाकी सभी देशवासियों से कई गुना अधिक है। यदि यह कहा जाये कि आज देश की स्वतन्त्रता की रक्षा निर्भर ही केवल कलगीधर जी के वीर सपुत्रों पर करती है तो यह कोई अतिशोक्ति नही होगी। भारत में सिखों की जनसंख्या भले आटे में नमक के बराबर भी नहीं हैं, पर देश स्वतन्त्रता के लिए सिखों की कुर्बानीयों का उल्लेख किए बिना देश स्वतन्त्रता का इतिहास लिखा ही नहीं जा सकता।
सिख कौम का इतिहास बताता है कि इस का जन्म ही केवल देश को विदेशी हमलावरों से स्वतन्त्र करवाने और देश वासियों को छूत छात, ऊँच-नीच तथा बेकार के कर्म-काण्डों की अत्यधिक गुलामी से मुक्त कराने के लिए ही हुआ था। भारत का इतिहास इस बात का गवाह है कि यह देश अपने वसनीकों की अनैतिकता, आपसी फूट और खुदगर्जी के कारण दो हज़ार सालों से कभी शकों और हूनों का, कभी गौरीयों और गज़नवियों का, कभी खिलज़ियों और तुगलकों का कभी फरासियों या फ्रान्सीसीयों का, कभी लोधियों और मुगलों का, कहीं पूर्त गेज़ीयों और अंग्रेज़ों का गुलाम होता आ रहा था।
यहाँ ही बस नहीं, ये पानी वाले माशकीयों और गुलामों का भी गुलाम हो चुका है। इस लम्बी गुलामी ने इस देश की वीरता और स्वाभिमान को स्थिल करके रख दिया था। यहाँ तक कि भारत में पहले विदेशी हमलावर मीर कासिम के समय ईस्वी सन् 712 ई० से ही इस देश की गैरत और स्वाभिमान की चुनौती देनी आरम्भ हो गई थी और यहाँ के असली वारिसों का काफीयां तंग किया जाने लगा। इस देश के हिन्दू तीर्थों और धर्म स्थानों की बेअदबी की जाने लगी। पूज्य भारती महा पुरुषों और भगवान की मूर्तियों को तोड़ कर पैर मार कर अपमानित किया जाता रहा। इस देश की धन सम्पत्ति बैलगाड़ियों, घोड़े, गाड़ियों, खच्चरों और गायों के ऊपर लद-लद कर देश में से लूट-लूट कर ले जाती रही।
Book | भारत की आजादी में सिखों का योगदान / Bharat Ki Aazadi Me Sikho Ka Yogdan |
Author | Sikh Missionay College |
Language | Hindi |
Pages | 42 |
Size | 11 MB |
File | |
Category | History, Hindi Books |
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