सहीह बुखारी (भाग-1,2,3,4,5,6,7,8) हिंदी पुस्तक पीडीएफ | Sahih Bukhari (Vol-1,2,3,4,5,6,7,8) Hindi Book PDF



Sahih Bukhari (Vol-1,2,3,4,5,6,7,8) Hindi Book PDF


सहीह बुखारी हिंदी पुस्तक पीडीएफ | Sahih Bukhari Hindi Book PDF Download

सहीह बुख़ारी, कुतुबे - अहादीष की दुनिया में सबसे मो' तबर हैषियत रखती है। इमामे आली मक़ाम के कमालाते-इल्मिया, सिफ़ाते-आलिया और मसाइले शरिइय्या में आपकी शाने-फुक़ाहत व तराजिमे-अबवाब को बयान करने के लिये एक मुस्तकिल किताब की ज़रूरत है। बाज़ अहले हिम्मत ने इस पर तवज्जह की है और आपकी बेनज़ीर फुक़ाहत को बयान किया है। हाफ़िज़ इब्ने हजर और दीगर शारेहीन ने जामेड़स्सहीह की शरह बयान करते हुए हस्बे-मौका आपकी फुक़ाहत और उसकी बारीकियों पर रोशनी डाली है। तफ़्सीर व हदीष में तबहहुर, निकाते हदीषिय्या, इलले हदीष, लताइफ़े-इस्नाद, अस्मा-ए- रिजाल, तारीख़े-फ़िक़ह, अदब, अक़ाइद, कलाम में से कौनसी ऐसी शिक है और कौनसा ऐसा गोशा व फ़न है जिसमें आप माहिरे-कामिल और बदरे- तमाम न दिखाई पड़ते हों। 

उलूमे इस्लामिया में कौनसा ऐसा फ़न है जिसमें आपको कमाले-दस्तरस न हो । ये बिल्कुल वाज़ेह बात है कि आपकी फुक़ाहत और शरई मसाइल में आपकी बसीरत को पाबित करने के लिये न किसी मेहनत की ज़रूरत है और न किसी दूर अज़कार तहरीर की। जिस तरह दिन में सूरज के वजूद पर किसी ख़ारज़ी शहादत (बाहरी गवाही) की ज़रूरत नहीं होती, ठीक उसी तरह इमामे-मौसूफ की जामेससहीह बुख़ारी और उसके तराजिमे - अबवाब आपकी आला दर्जे की क़ाहत पर शाहिदे अदल है। अल्लाहु अकबर! सहीह बुख़ारी के तराजिमे - अबवाब देखकर अक्ल हैरान रह जाती है कि कितनी बारीकबीनी के साथ फ़िक़ही मसाइल को सादा इबारतों में बयान कर दिया गया है और एक ही हदीष से अनेक मसाइल का इस्तिख़राज और इस्तंबात किया गया है, जिसे कम पढ़ा-लिखा आदमी भी समझ सकता है। 

इख़्तलाफ़ी मसाइल में राजेह और मरजूह का बयान कुछ ढंग से हुआ है कि मुहक्किक़ को तसल्ली मिले। इमाम मौसूफ़ ने तराजिमे - अबवाब में ऐसी शाने फुक़ाहत दिखाई है कयामत तक आने वाले फुकहा रोशनी हासिल करते रहेंगे। फ़र्ज़ व वुजूब, ताकीदो - इस्तिहबाब, मन्दूबो - जवाज़, हिल्लत व हुर्मत, राहत व अदमे - जवाज़ को कैसी सादा ज़बान में समझा दिया है। ये भी क़ाबिले- फ़ख़र बात है कि इमामे आली मक़ाम के फ़िक़ह की बुनियाद किताबुल्लाह और सुन्नते रसूल ने फ़र्माई है, जिस पर सहाबा किराम का तहम्मुल था । आप उस फ़िक़ह व इस्तिख़राज से कोसों दूर हैं जिसकी बुनियाद क़ियास व राय पर है जिसके मनगढ़त क़वाइद व उसूल वजअ किये (गढ़ लिये गये हैं। 

आप उस फ़िक़ह के क़रीब भी नहीं जाते जिसमें हुदूदुल्लाह को पामाल किया जाता हो, जिसमें हलाल को हराम और हराम को हलाल किया जाता हो। बल्कि आप पुरज़ोर आवाज़ में उसकी तर्दीद फ़र्माते हैं। इख़्तिसार की तंगदामनी इस बात की इजाज़त नहीं देती कि जामेड़स्सहीह से आपकी इस्तिख़राज की मिषालें पेश की जाएं। सिर्फ़ एक जामेअ इक्तिबास सैयद सुलैमान नदवी की तहरीर से पेश कर रहा हूँ। आप लिखते हैं, एक बड़ी ख़ूबी यह है कि इमाम बुख़ारी (रह.) अहादीष से उस ज़माने की मुआशरत का पता लगाते हैं और मामूली वाक़ियात से निहायत मुफ़ीद नतीजे निकालकर हर नतीजे को अलग-अलग बाबों में दर्ज करते हैं। 

साहिबे सीरतुल बुख़ारी फ़र्माते हैं कि इमाम बुख़ारी पहले हदीष की तन्क़ीद करते हैं और उसकी सिहत हर तरह से जाँचते हैं। सिहत का यकीन होने पर भी एहतियातन इत्मीनान के लिये इस्तिख़ारा करते हैं। इत्मीनान होने पर हृदीष को अक्षर मसल-ए-फ़िहिया के तहत में ज़िक्र करते हैं, जिसका नाम तर्जुमतुल बाब है। कभी अहले ज़माना के मुरव्वजा रसूमो - आदात को कुन व हदी के 'अयार पर जाँचकर उसकी सिहत व गलती का अन्दाज़ा करते हैं। कभी सहीह हदीष की ताईद, कभी फहदीष की सिहत की सहीह हदीष पेश करते हैं। कभी दो मुतआरिज हदीष के दो महल दलील बताते हैं। जिससे ज़ाहिरी तआरुज रफ़ा हो जाता है।

इमाम बुखारी की फुक़ाहत और आपके तराजिमे - अबवाब पर ये एक सरसरी तब्सरा है। अगर तमाम मुहद्दिषीन तसरे पेश किये जाएं तो बहुत तफ़्सील दरकार होगी। ये एक मुख़्तसर जाइज़ा है, जिससे इमाम मौसूफ की फुक़ाहत का अन्दाज़ा लगाया जा सकता है। अल्लाह पाक अफ़रादे- उम्मत को तौफ़ीक़ बख़्शे कि वो इमाम बुख़ारी की फुक़ाहत से इस्तिफ़ादा हासिल करे ताकि राहे हक़ व सवाब या नी सहाबा व ताबेईन के मसलक व मज़हब पर गामज़न हो सके।





Bookसहीह बुखारी / Sahih Bukhari  
AuthorAbu Abdullah Muhammad bin Ismail Bukhari
LanguageHindi
Pages741
Size71 MB
FilePDF
CategoryIslamic, Hindi Books
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