योग चिकित्सा संदर्शिका पुस्तक | Yoga Chikitsa Sandarshika Book PDF Download
योग सभी प्रकार के कष्टों का निवारण करने में सक्षम है। आज मनुष्य अशांत, दुखी एवं शारीरिक-मानसिक विकारों से दग्ध है। कहा भी गया है "अशांतस्य कुतः सुखम् - अर्थात, अशांत व्यक्तियों को सुख कहाँ से मिलेगा ? शांति एवं कष्टों से मुक्ति पाने हेतु योग, व्यायाम, प्राणायाम, ध्यान आदि का प्रावधान हमारे ऋषियों ने किया है। आज जिस तरह से जीवन शैली के रोग बढ़ते जा रहे हैं, योग की आवश्यकता उतनी ही बढ़ती जा रही है।
जिनकी जीवनशैली आज के द्रुतगामी, विज्ञानप्रधान, भोगवादी समाज में जीते हुए गड़बड़ा गई है, उनके लिए "योग चिकित्सा संदर्शिका" ग्रंथ कुछ ऐसे प्रयोग लाया है जो बहुत कम समय में ही खूब सारा लाभ दे सकता हैं। देव संस्कृति विश्वविद्यालय ने अल्प अवधि में ही ढेर सारी उपलब्धियाँ अपनी झोली में डाल ली हैं।
योग एवं मानवी चेतना विज्ञान विभाग ने योग के साथ व्यावहारिक प्रयोगों को जोड़कर आसन, मुद्राओं आदि के कुछ मिश्रित प्रयोग ऐसे किये हैं, जिनसे ढेरों व्यक्ति लाभान्वित हो रहे हैं। हमारे छात्र-छात्राएँ निष्णात आचार्यों के मार्गदर्शन में स्वयं तो इसे करते ही हैं, अन्यों को भी सिखाते हैं। इसका लाभ उन्हें भी मिला है। शरीर व अंतःकरण की समग्र स्वस्थता ही इस युग की चिकित्सा पद्धति को देनी होगी।
मैं समझता हूँ कि हमारे योग चिकित्सा संदर्शिका विभाग के प्रवक्ता श्री कामाख्या कुमार जी ने इन प्रयोगों को क्रमबद्ध करके एक पुस्तिका के रूप में प्रस्तुत करने का बहुत अच्छा प्रयास किया है। इसे पढ़कर तथा भली-भाँति समझकर किन्हीं भी उपयुक्त व्यक्ति के मार्गदर्शन में या स्वयं भी किया जा सकता है एवं तनावमुक्त तथा शांतिसे भरा स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है।
औषधियों के बिना जीने वाले व्यक्ति कर्मयोगी बन अपना जीवन सार्थक कर सकता है। मैं विभाग को साधुवाद देता हूँ एवं इनकी उपचार प्रक्रिया की सफलता के लिए हार्दिक सम्प्रेषित करता हूँ। गुरुसत्ता से प्रार्थना है कि वे उन्हें अनुदान दें एवं आगे चलकर और भी बड़े स्तर पर ऐसे प्रकाशनों हेतु अपने ज्ञान का प्रयोग करने की शक्ति दें।
योग सभी प्रकार के कष्टों का निवारण करने में सक्षम है। आज मनुष्य अशांत, दुखी एवं शारीरिक-मानसिक विकारों से दग्ध है। कहा भी गया है "अशांतस्य कुतः सुखम् - अर्थात, अशांत व्यक्तियों को सुख कहाँ से मिलेगा ? शांति एवं कष्टों से मुक्ति पाने हेतु योग, व्यायाम, प्राणायाम, ध्यान आदि का प्रावधान हमारे ऋषियों ने किया है। आज जिस तरह से जीवन शैली के रोग बढ़ते जा रहे हैं, योग की आवश्यकता उतनी ही बढ़ती जा रही है।
जिनकी जीवनशैली आज के द्रुतगामी, विज्ञानप्रधान, भोगवादी समाज में जीते हुए गड़बड़ा गई है, उनके लिए "योग चिकित्सा संदर्शिका" ग्रंथ कुछ ऐसे प्रयोग लाया है जो बहुत कम समय में ही खूब सारा लाभ दे सकता हैं। देव संस्कृति विश्वविद्यालय ने अल्प अवधि में ही ढेर सारी उपलब्धियाँ अपनी झोली में डाल ली हैं।
योग एवं मानवी चेतना विज्ञान विभाग ने योग के साथ व्यावहारिक प्रयोगों को जोड़कर आसन, मुद्राओं आदि के कुछ मिश्रित प्रयोग ऐसे किये हैं, जिनसे ढेरों व्यक्ति लाभान्वित हो रहे हैं। हमारे छात्र-छात्राएँ निष्णात आचार्यों के मार्गदर्शन में स्वयं तो इसे करते ही हैं, अन्यों को भी सिखाते हैं। इसका लाभ उन्हें भी मिला है। शरीर व अंतःकरण की समग्र स्वस्थता ही इस युग की चिकित्सा पद्धति को देनी होगी।
मैं समझता हूँ कि हमारे योग चिकित्सा संदर्शिका विभाग के प्रवक्ता श्री कामाख्या कुमार जी ने इन प्रयोगों को क्रमबद्ध करके एक पुस्तिका के रूप में प्रस्तुत करने का बहुत अच्छा प्रयास किया है। इसे पढ़कर तथा भली-भाँति समझकर किन्हीं भी उपयुक्त व्यक्ति के मार्गदर्शन में या स्वयं भी किया जा सकता है एवं तनावमुक्त तथा शांतिसे भरा स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है।
औषधियों के बिना जीने वाले व्यक्ति कर्मयोगी बन अपना जीवन सार्थक कर सकता है। मैं विभाग को साधुवाद देता हूँ एवं इनकी उपचार प्रक्रिया की सफलता के लिए हार्दिक सम्प्रेषित करता हूँ। गुरुसत्ता से प्रार्थना है कि वे उन्हें अनुदान दें एवं आगे चलकर और भी बड़े स्तर पर ऐसे प्रकाशनों हेतु अपने ज्ञान का प्रयोग करने की शक्ति दें।
पुस्तक | योग चिकित्सा संदर्शिका पीडीएफ / Yoga Chikitsa Sandarshika PDF |
लेखक | डॉ. प्रणव पण्ड्या |
प्रकाशक | श्री वेदमाता गायत्री ट्रस्ट, हरिद्वार |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 50 |
आकार | 25 MB |
फाइल | |
Status | OK |