स्वास्थ्य के शत्रु अण्डे व मांस पुस्तक | Swasthya Ke Shatru Ande wa Mans Book PDF Download
मनुष्य की शारीरिक रचना का अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि मनुष्य मांसभक्षक प्राणी नहीं है। परन्तु आज मनुष्य का भीषण पतन हो गया है। आज का मनुष्य पशुओं से भी नीचे गिर गया है। पशु तो भक्षण करने योग्य पदार्थों को ही खाता है, परन्तु मनुष्य सर्वभक्षी बन गया है। मैथिलीशरण गुप्त ने ठीक ही लिखा है- केवल पतङ्ग विहंगमों में जलचरों में नाव ही। भोजनार्थ चतुष्पदों में चारपाई बच रही॥ आज का मानव आकाश में उड़नेवाले तीतर, बटेर, कबूतर, मोर - सभी प्राणियों का भक्षण कर जाता है, उड़नेवाली वस्तुओं में केवल पतंग छूटी है।
जल में रहनेवाले मेंढक और मछली, मनुष्य सभी को चट कर जाता है, हाँ, नाव को मनुष्य नहीं खाता। चौपायों में गाय, भैंस, घोड़ा और बकरी आदि सभी मनुष्य के पेट में समा जाते हैं, केवल चारपाई बची हुई है। मनुष्य संसार का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है, परन्तु उसका कैसा भीषण पतन हुआ है। स्वास्थ्य के शत्रु अण्डे व मांस मनुष्य का आहार नहीं है। वेद आदि धर्मशास्त्रों में इसे अभक्ष्य बताया गया है। ईसाई और मुसलमानों के धार्मिक ग्रन्थों में भी इसका निषेध किया गया है। ऋषि-मुनियों, महापुरुषों और सुधारकों ने इसकी घोर निन्दा की है।
डॉक्टर, वैद्यों और हकीमों ने भी इसे अभक्ष्य बताया है। यही उत्तम है कि तू स्वास्थ्य के शत्रु अण्डे व मांस न खाये, न शराब पिये, और न कोई ऐसा काम करे जिसके कारण तेरा भाई ठोकर खाये। ईसा मसीह बहुत दयालु थे। उसके प्रमुख शिष्य मैथ्यू, पीटर और जेम्स आदि मांस नहीं खाते थे। प्रारम्भिक ईसाइयों का भोजन और जीवन अत्यंत सादा था। उनकी रसोई में निरीह पशुओं को काटकर उनके खून की धाराएँ नहीं बहाई जाती थीं। क्या हमारे बन्धु बाइबल की शिक्षाओं और अपने पूर्व पुरुषों के जीवन पर आचरण करते हुए मांस भक्षण न करने का व्रत लेंगे ?
पुस्तक | स्वास्थ्य के शत्रु अण्डे व मांस पीडीएफ / Swasthya Ke Shatru Ande wa Mans PDF |
लेखक | स्वामी जगदीश्वरानंद सरस्वती |
प्रकाशक | भगवती प्रकाशन, दिल्ली |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 35 |
आकार | 13 MB |
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Status | OK |