शक्तिपात कुण्डलिनी महायोग पुस्तक | Shaktipat Kundalini Mahayoga Book PDF Download
आजकल यह धारणा हो गयी है कि योग का साधन केवल तपस्यायुक्त गृहत्यागी ही कर सकते हैं। परन्तु स्वामी विष्णुतीर्थ रचित "शक्तिपात कुण्डलिनी महायोग" ग्रंथ के माध्यम से आप जान पाएंगे कि किस प्रकार हमारे पूर्वजों ने गृहस्थ धर्म का पालन करते हुए भी योग की सर्वोच्च भूमिकाओं को प्राप्त किया था। योगीराज श्री कृष्ण का आदर्श जीवन भी इसका प्रमाण है। गृहस्थ आश्रम में रह कर भी उनके अलौकिक गुण के कारण हम उन्हें साक्षात् ब्रह्म स्वीकार कर चुके हैं। यद्यपि यह स्वीकार करने में कोई आपत्ति नहीं है कि कुण्डलिनी महायोग साधन के लिए दृढ़ और सतत् अभ्यास की आवश्यकता है। पूर्व पथ प्रदर्शक पतञ्जलि, वसिष्ठ, वेदव्यास आदि के ग्रन्थों को पढ़कर ही उस साधन को प्राप्त कर लेना असम्भव है, क्योंकि इस मार्ग में अनेक बाधाएँ, जीव के ब्रह्म तक पहुँचने में बाधक होकर, साधक को प्रलोभनों में फँसा देती हैं और वह अपने अन्तिम ध्येय से वंचित रह जाता है। इसका एकमात्र सरल और सहज उपाय सद्गुरुओं की कृपा ही है। ऐसे सद्गुरु, लोकोपकार की दृष्टि से, सहज ही सिद्धि देने वाले 'सिद्ध कुण्डलिनी महायोग' का लाभ अपने 'शक्तिपात' द्वारा जिज्ञासुओं को अनायास ही करा देते हैं। स्मरण रहे कि 'शक्तिपात' और 'मैस्मेरिज्म' में आकाश- पाताल का भेद है। मैस्मेरिज्म में कर्त्ता मीडियम को अपने प्रभाव में लेके उससे अपनी इच्छानुसार कार्य कराता हैं। ऐसे कार्य स्वार्थ साधन मात्र के लिए, परमार्थं से कोसों दूर होते हैं। कर्त्ता का प्रभाव हटते ही मीडियम साधारण दशा से भी गिर जाता है और मैस्मेराइजर के प्रति घृणा करने लगता है। परन्तु शक्तिपात कुण्डलिनी महायोग के द्वारा गुरु अपने शिष्य की आत्मशक्ति का विकास करता है। शिष्य की सर्वतोमुखी उन्नति होने से उसकी श्रद्धा बढ़ती जाती है और वह अध्यात्म ज्ञान को प्राप्त करता है।
पुस्तक | शक्तिपात कुण्डलिनी महायोग पीडीएफ / Shaktipat Kundalini Mahayoga PDF
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लेखक | स्वामी विष्णुतीर्थ जी महाराज |
प्रकाशक | योगश्री पीठ ट्रस्ट, ऋषिकेश |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 98 |
आकार | 17 MB |
फाइल | PDF |
Status | OK |
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