क्रियात्मक कुंडलिनी तंत्र | Kriyatmaka Kundalini Tantra Hindi PDF



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क्रियात्मक कुंडलिनी तंत्र -महर्षि यतीन्द्र -हिंदी पीडीएफ पुस्तक डाउनलोड करे मुफ्त में



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क्रियात्मक कुंडलिनी तंत्र पुस्तक | Kriyatmaka Kundalini Tantra Hindi Book PDF Download

'महर्षि' शब्द के साथ जो आश्रमवासी स्वामी की धारणा मानस कल्पना में उभरती है उस परम्परा को डॉ. वाई. डी. गहराना ने तोड़ कर सामान्य सांसारिक कार्य व्यवहार में रत रहते 'गृहस्थ-योगी' से जोड़ दिया है। हमारे देश की परम गोपनीय विद्या 'क्रियात्मक कुण्डलिनी तंत्र' को इतना सरल रूप देकर लेखक ने जीवन भर के अपने संचित ज्ञान को दाँव पर लगा दिया है। ऐसा करने की हिम्मत कुछ विशेष लोग ही जुटा पाते हैं। कुंडलिनी तंत्र के सहज क्रियात्मक अभ्यास इस पुस्तक की विशेष निधि हैं।

'भोग में योग' की प्राचीन लुप्तप्राय परिपाटी के प्रवर्तक महर्षि यतीन्द्र की 'क्रियात्मक कुण्डलिनी तन्त्र' (अष्टांग योग सहित) के रूप में प्रस्तुत पुस्तक आपके हाथ में है। आप इस ग्रंथ का अध्ययन करके इसका पूर्ण लाभ उठायेंगे यही आशा है। योग के विविध आयामों में कुण्डलिनी तन्त्र सर्वाधिक महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ है। कुण्डलिनी की अन्तर्यात्रा स्थूलतम आधार से प्रारम्भ होकर सूक्ष्म से सूक्ष्मतर होती हुई सूक्ष्मातिसूक्ष्म का भी अतिक्रमण कर परम सत्य तक पहुँचाती है। इस साधना की उच्चावस्था में योग के अनेक आयाम भी समाहित हो जाती हैं इसलिये यह साधना सिद्धयोग के नाम से भी जानी जाती है। 

क्रियात्मक कुण्डलिनी तंत्रआंतरिक रूपान्तरण की वैज्ञानिक विधि है जिसमें अस्तित्व रूपांतरण घटित होता है। पशु समान कार्य से जिस यौनशक्ति का नाश होता है, उसी को ऊर्ध्व गति कर देने से वह वहाँ पर संचित होकर आध्यात्मिक शक्ति में परणित हो जाती है। समस्त सत् चिन्तन, समस्त प्रार्थनायें इस शक्ति को ओज में रूपान्तरण करने में सहायता करती हैं, और उसी से हम आध्यात्मिक शक्ति भी प्राप्त करते हैं। यह ओज ही है मनुष्य का मनुष्यत्व, और केवल मानव शरीर में ही इस शक्ति का संग्रह सम्भव है। समस्त यौन शक्तियों को ओज में परणित करने वाला व्यक्ति ही देवता है।


पुस्तकक्रियात्मक कुंडलिनी तंत्र पीडीएफ / Kriyatmaka Kundalini Tantra PDF
लेखकमहर्षि यतीन्द्र
प्रकाशकदीप पब्लिकेशन, आगरा
भाषाहिन्दी
कुल पृष्ठ459
आकार169 MB
फाइलPDF
StatusOK


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