कठोपनिषद् पुस्तक | kathopanishad Book PDF Download
इस उद्दालक के पुत्र का नाम नचिकेता था। वह कुमार ही था, तथापि वह बड़ा बुद्धिमान था। उसने देखा कि उनके पिता पिताजी सर्वस्व अर्पण कर रहे हैं, तो मेरा भी दान वो किसी न किसी को करही देंगे। ऐसा समझ कर उसने अपने पिता से दो तीन बार पूछा कि 'मुझे किसको दोगे'। कई बार पूछने से पिता क्रोधित हुए और उसने कहा 'मैं तुझे यमको दूंगा'।कठोपनिषद् के अनुसार यह वृत्तान्त ऐसा है कि पिता सर्वस्वका दान कर रहे थे, सब धन तथा सब गौवें आदि खत्म हो जाने पर वो वृद्ध और दुग्धहीन गौओंका भी दान करने लगे।
यह देखकर नचिकेता के मनमें ऐसा विचार आया कि ऐसी निकम्मी गौवें दान देने से पिताको पाप लगेगा। यज्ञ योग्य रीतिसे न हाकेर यह तो पापका कर्म हो रहा है। ऐसा विचार मनमें आने पर नचिकेता ने पितासे पूछा कि 'मुझे किसको दोगे। दो तीन बार ऐसा प्रश्न करनेसे पिता क्रुद्ध हुए और बोले कि ' मैं तुझे मृत्युको दूंगा'। महाभारत में भी ये कथा आती है, जो इस पुस्तक में दी गई है। इसका तात्पर्य ऐसा है कि, उद्दालक ऋषि नदीपर ज्ञानके लिये गये थे। वहां दर्भ, फूल, पात्र आदि रखकर आश्रम में आये। आश्रम में पहुंचने पर अपने पुत्र नचिकेतासे वे बोले- पुत्र! नदीपर जाकर मेरी सामग्री ले आ।
नचिकेता वहां गया और उसने नदीतीर पर इधर उधर देखा, पर वहां सामग्री नहीं थी। सामग्री जल के प्रवाह से नदी में बह गई थी। पुत्र आश्रम में वापस आया और पिताजी से उसने कहा कि वहां सामग्री नहीं है, वह नदीजल के वेग से बह गई होगी। पिताने क्रोधित होकर शाप दिया कि 'तू मर जा' ! नचिकेता एकदम मूर्छित होकर भूमिपर गिर पडा। अपने पुत्रको मरा देखकर उसका पिता शोक करने लगा और आंसू बहाने लगा। वह ऐसा पूरा एक दिन शोक कर रहा था। इतनेमें नचिकेता जाग उठा और उसने कहा कि यमराजका दर्शन हुआ और उसने वर तथा ज्ञानका उपदेश दिया। पुण्यलोक का दर्शन भी कराया और मुझे दिव्य बना दिया।
पुस्तक | कठोपनिषद् पीडीएफ / kathopanishad PDF |
लेखक | पं० श्रीपाद दामोदर सातवलेकर |
प्रकाशक | स्वाध्याय मण्डल, पारडी |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 131 |
आकार | 5 MB |
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Status | OK |