कंकाल मालिनी तंत्र हिन्दी पुस्तक के बारे में संक्षिप्त जानकारी :
पुस्तक का नाम : कंकाल मालिनी तंत्र
लेखक का नाम : एस. एन. खंडेलवाल
संपादक : अज्ञात
प्रकाशक : भारतीय विद्या संस्थान, वाराणसी
मुद्रक : देवपति प्रेस, वाराणसी
प्रकाशन तिथि : 1993
संस्करण : प्रथम
कुल पृष्ठ : 102
आकर : 18 MB
भाषा : हिंदी
श्रेणी : तंत्र मंत्र
Brief information about the book of Kankal Malini Tantra :
Book Name : Kankal Malini Tantra
Author : S. N. Khandelwal
Editor : Unknown
Publisher : Bharatiya Vidya Sansthan
Printer : Devpati Press, Varanasi
Publication date : 1993
Edition : first
Total pages : 102
PDF size : 18
Language : Hindi
Category : Tantra Mantra
Additional details :
File type : Pdf
PDF Quality : very good
Copyright : (CC0 1.0) Public Domain
Material type : Book
Book type : ebook
Download link : available
Source : archive
पुस्तक का छोटा सा अंश :
यद्यपि कंकाल शब्द से अस्थिपंजर का तात्पर्य जान परता है, तथापि यहाँ उसका सही अर्थ है मुण्ड-नरमुण्ड ! जिनकी ग्रीवा नरमुण्ड माला से सुशोभित हैं, वे हैं कंकाल मालिनी और जो उसकी साधना करता है वही है कंकाल मालिनी तंत्र। इस तंत्र के प्रथम पटल में वर्णमाला की व्याख्या की गई है। इस तंत्र के अनुसार अः पर्यन्त स्वर वर्ण को सत्त्वमय कहा गया है। क से थ पर्यन्त वर्णसमूह को रजोमय तथा द से क्ष पर्यन्त के वर्णसमूह को तमोमय कहा गया है।
द्वितीय पटल में मन्त्रचैतन्य का अंकन है। तृतीय पटल गुरु अर्चना से संबंधित है। इसमें अमृत फलप्रदायक रुगुकवच तथा गीता का भी समावेश है। गुरुतत्त्व की महनीयता से यह पटल ओतप्रोत है। चतुर्थ पटल में महाकाली मंत्र के माहात्म्य का अंकन है। इसमें त्र्यक्षर मंत्र भी उपदिष्ट है। साथ हो महाकाली की पूजाविधि का समझाया गया है।
क्या कंकाल मालिनी तंत्र दक्षिणाम्नाय के अन्तर्गत है ? अर्थात् यह शिव के मुख से अभिनिश्रित है। अभयाचार तन्त्रमत के अनुसार दक्षिणाम्नाय से सम्बन्धित तंत्र हैं- बगला, वशिनी, त्वरिता, घनदा, महिषति। यह कहा जाता है कि यह तंत्र शुरू में ५०००० श्लोकों से युक्त था, परन्तु काल के प्रवाह में लुप्त जो अवशिष्ट है, उसे ही अनुवाद के साथ पाठकगण के लाभार्थ प्रस्तुत किया जाता रहा है।