Janm Maran Ka Siddhanta -Acharya Prabodhanand Yogishwar -Hindi PDF Book Download for free
जन्म-मरण का सिद्धांत -आचार्य प्रबोधानन्द योगिश्वर -हिंदी पीडीएफ पुस्तक डाउनलोड करे मुफ्त में
जन्म-मरण का सिद्धांत पुस्तक | Janm Maran Ka Siddhanta Hindi Book PDF Download
जन्म और मरण दोनों मनुष्य के साथ होनी है। जन्म से जीवन का प्रारंभ मरण से जीवन का अंत होता है। जन्म-मरण इन दोनों से संबंध रखनेवाला मनुष्य इन दोनों विषयों में अवगाहना न होने की वजह से कल्पनाएँ कर रहा है। जन्म के बारे में हो या मरण के बारें में हो, मनुष्य के पास कोई भी शास्त्रबद्ध समाचार नहीं है। जन्म और मृत्यु के बारें में अशास्त्रीय और पुराणसंबंधित विषयों के होने की वजह से वास्तविकता से दूर हो गया है।
मनुष्य को मुख्य रुप से जानने कि जरुरत है कि कैसे जीवन प्रारंभ और अंत होता है । इन दोनों विषयों से संबंधित मनुष्य में दफन हुए अवास्तविकताओं को बाहर निकाल कर वास्तविकताओं को आप तक पहुँचने के उद्देश्य से ही इस पुस्तक की रचना की गई। इस पुस्तक में लिखे सारे विषय शासनबद्ध और सिद्धांत रुपी होने के कारण ही इसका नाम "जन्म-मरण का सिद्धांत" रखा गया है। इसमें कई शासन से संबंधित सिद्धांत है । ब्रम्हविद्या से संबंधित शासन रुपी होने के कारण इसे ब्रम्हविद्या का ही एक सिद्धांत कह सकते हैं।
कुछ पुस्तकों में लिखे गए विषयों को देखा जाए तो माता के गर्भ में ही शिशु में प्राण आना, माता के गर्भ में ही शिशु मे वास जीव का बाहर आने से पहले तक उसे पूर्व जन्म का याद रहना लिखा गया है। इसे वास्तविकता का रूप देते हुए, इससे संबंधित कहानियाँ भीं लिखी गयी हैं। इतना ही नहीं, प्रहलाद को माता के गर्भ में ही नारद द्वारा नारायण मंत्रोपदेश दिया जाना, भागवत में कहा गया है। महाभारत में, अभिमन्यु ने माता के गर्भ में ही (युद्धव्यूह के अंर्तगत) पद्म व्यूह में प्रवेश करना लिखा गया है। अनेक ग्रंथों में लिखा जाना माता के गर्भ में ही जीवात्मा का प्रवेश होने का विश्वास लोगों के मन में घर कर गया।
पुस्तक | जन्म-मरण का सिद्धांत पीडीएफ / Janm Maran Ka Siddhanta PDF |
लेखक | आचार्य प्रबोधानन्द योगिश्वर |
प्रकाशक | Indu Gnana Vedika |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 97 |
आकार | 0.5 MB |
फाइल | |
Status | OK |