ईशादि नौ उपनिषद् पुस्तक | Ishadi Nau Upanishad Book PDF Download
सभी उपनिषदों में ईशादी ग्यारह उपनिषद् सबसे महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं। उनमें से दो उपनिषद, बृहदारण्यक और छान्दोग्य का विषय बहुत कठिन हैं। उन विषयों को समझना और आपको समझाना मुझ जैसे अल्पज्ञ मनुष्यकी योग्यता में नही है, इसी कारण से उन दो को छोड़कर अन्य नौ उपनिषदों पर यह व्याख्या लिखी गयी है। यह व्याख्या गोरखपुर में श्री जयदयालजी की आज्ञा से 'कल्याण' के उपनिषद अंक में प्रकाशित करने के लिये लिखी गयी थी। ईशादि नौ उपनिषदों में से पहला ईशावास्योपनिषद् तो शुक्ल यजुर्वेद का चालीसवाँ चैप्टर है तथा अन्य आठ उपनिषद् आरण्यक और ब्राह्मणग्रन्थों के भाग हैं।
इन सबमें परमेश्वर के निर्गुण और सगुण स्वरूप का तत्त्व अच्छे से समझाया गया है। वेदोंका अन्तिम भाग होनेके कारण से ही इनको वेदान्त कहा जाता है। इन ईशादि नौ उपनिषदों पर प्रधान सम्प्रदायों के पूज्यपाद आचार्यों ने अपने मतके अनुसार अनेक भाष्य लिखे हैं। संस्कृत और हिंदी भाषा में भी अनेकों महानुभावो ने टीकाएँ लिखी हैं। इनके संस्कृत भाष्य और टीकाओं के हिंदी अनुवाद भी प्रकाशित हो चुके हैं। ऐसे में मुझ जैसे अल्पज्ञ के लिए इसपर व्याख्या लिखना कोई आवश्यक कार्य नहीं था। परंतु जब कल्याण के नौ उपनिषद अंक के निकाले जानेकी बात हुई तो पूज्यजनों की आज्ञा पालन तथा अपने आध्यात्मिक विचारों की उन्नति के लिये मैंने यह व्याख्या लिखकर उपनिषदंक में प्रकाशित करवायी थी।
अब कुछ आवश्यक संशोधन करके इसे फिरसे प्रकाशित किया जा रहा है। उक्त टीकामें पहले अन्वयपूर्वक शब्दार्थ लिखा गया है और फिर उसकी व्याख्या में प्रत्येक मन्त्रका भाव सरल भाषामें समझाकर लिखा गया है। इससे जो मूल ग्रन्थके साथ शब्दार्थ मिलाकर अर्थ समझना पसंद करते हैं तथा जो संस्कृत भाषाका ज्ञान कम रखते है, ऐसे दोनों प्रकारके ही पाठकों को ईशादि नौ उपनिषद का भाव समझने में सुविधा होगी। इसके अलावा पुस्तक में सभी उपनिषद् की अलग-अलग विषय सूची भी दी गयी है, इससे प्रत्येक विषयको खोजने में पाठकों को अतिसुविधा होगी।
पुस्तक | ईशादि नौ उपनिषद् पीडीएफ / Ishadi Nau Upanishad PDF
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लेखक | हरिकृष्ण दास गोयन्दका |
प्रकाशक | गीताप्रेस, गोरखपुर |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 547 |
आकार | 3 MB |
फाइल | PDF |
Status | OK |
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