हमारे संत पुस्तक | Hamare Sant Book PDF Download
हम सब कुछ खो बैठे थे, फिर भी अन्धकार में कुछ ऐसे दीपक जलते रहे जिनसे धरती पर अमर प्रकाश बरसता रहा है। स्वतन्त्रता, शान्ति और सत्य के जो मंगल स्वर हमारे संत की वाणी से निकले वे ही तो मानवता के उज्ज्वल दीप हैं। जन जागरण के जो भक्ति भाव हमारे संतो ने जन जन में जगाये हैं वे हमारे सामाजिक, राष्ट्रीय और ग्राध्यात्मिक उत्थान के मूलाधार हैं। उनकी भक्ति, उनकी तन्मयता, उनका त्याग, उनका तप मानव चरित्र विकास का वह सूर्य है जो अन्धकार को उसता रहता है। भौतिकता के उत्वए काल में आध्यात्मिकता की उतनी ही आवश्यकता है जितनी कमल के लिए सूर्य की। आज के असन्तोष में हमारे संत पुस्तक के स्वर ही हमे सन्तोष दे सकते हैं, मानव को मानव के निकट ला सकते हैं। हिंसा, सत्य और अशान्ति को हटाने तथा दुई के स्थान पर एकता की ज्योति जगाने का काम हमारे सन्तों ने किया है।
मानवता से दूर तृप्ति में भटकते हुए मृग- मनुष्य को में अपने देश के कुछ प्रमुख सन्तों का सत्संग इस ग्राशा से कराता हूँ कि अनैतिकता और अशान्ति भक्ति भावना में बदल जाये। मानव में जब चेतना नहीं रहती तो परिक्रमा करती हुई कोई आवाज़ जागती है। धरा जब डगमगाने लगती है तो दिव्य ज्योति सम्भूत कोई न कोई शक्ति प्रकट होती है। परिस्थितियाँ जब प्रतिकूल हो जाती हैं तो किसी न किसी अनुकूल शक्ति के दर्शन होते हैं। भौतिकता जब भटक उठती है तो आध्यात्मिकता जन्म लेती है। नश्वरता जब वीभत्स नृत्य करती है तो शाश्वत सत्यों से अभिभूत किसी न किसी आशा का आगमन होता है। भारतीय सन्त परम्परा में नामदेव कथित आदित्यों के ही मूर्त रूप हैं। प्रेम, अहिंसा, सत्य, शान्ति, त्याग, भक्ति और नैतिकता के स्वरूप सन्त नामदेव भारत के स्वनामधन्य सन्त हैं।
पुस्तक | हमारे संत पीडीएफ / Hamare Sant Hindi PDF |
लेखक | श्री रघुवीरशरण |
प्रकाशक | भारतीय साहित्य प्रकाशन, सदर मेरठ |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 91 |
आकार | 21 MB |
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Status | OK |