गर्भ गीता | Garbh Geeta Hindi PDF



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गर्भ गीता पुस्तक | Garbh Geeta Hindi Book PDF Download

नाथ कैसे गज को फन्द छुड़ायो यह अचरज मोहि आयो । टेक गज और ग्राह लड़त जल भीतर लड़त लड़त गज हारयो। जौं भर सूंड रही जल ऊपर तब हरि पुकारयो ॥ नाथ" शबरी के बेर, सुदामा के तन्दुल रुचि-रुचि भोग लगायो । दुर्योधन की मेवा त्यागी साग विदुर घर खायो । नाथ" पैठ पाताल काली नाग नाथ्यो फण पर नृत्य करायो । गिरि गोवर्धन कर पर धारयो नन्द का लाल कहायो । नाथ असुर बकासुर मारयो दावानल पान करायो ।

खम्ब फाड़ हरिणाकुश मारयो नरसिंह नाम धरायो ॥ नाथ अजामिल गज गणिका तारी द्रोपदी को चीर बढ़ायो । स्तन पान करत पूतना मारी कुब्जा का रूप बनायो ॥ नाथ कौरव पाण्डव का युद्ध रचायो कौरव मार हटायो । दुर्योधन का मान घटायो मोहि भरोसा आयो ॥ नाथ" सब सखियाँ मिल बन्धन बाँधियो रेशम गाँठ बन्धायो । छूटे नाहिं राजा जी का कंगन कैसे गोवर्धन उठायो ॥ नाथ योगी जाको ध्यान धरत है ध्यान धरत नहिं आयो । सूरश्याम प्रभु तुम्हारे मिलन को यशुदा की धेनु चरायो ।

जय गीता माता श्री जय गीता माता। सुख करनी दुःख हरनी तुमको जग गाता। टेक - जय गीता माता, मैया जय गीता माता। सुख करनी दुःख हरनी तुमको जग गाता ॥ अज्ञान मोह ममता को छिन में नाश करे, सत्य ज्ञान का मन में तू प्रकाश करे । शरण मेरी जो आवे तेरी मति ग्रहण करे, पाप ताप मिट जावें निर्भय भव सिंधु तरे । रणक्षेत्र में अर्जुन जब शोकाधीर हुआ, कर्तव्य कर्म तज बैठा बहुत मलीन हुआ। तब कृष्णचन्द्र के मुख से तुमने अवतार लिया, तत्त्व बात समझाकर उसका उद्धार किया। शरीर जन्मते मरते आत्मा अविनाशी, शरीर को दुःख व्यापे आत्मा सुख राशी।





पुस्तकगर्भ गीता पीडीएफ / Garbh Geeta PDF
लेखकश्री हनुमान प्रसाद
प्रकाशकगीता प्रेस गोरखपुर
भाषाहिन्दी
कुल पृष्ठ8
आकार43 MB
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