दुर्गा सप्तशती बीजमंत्र | Durga Saptashati Beej Mantra PDF




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दुर्गा सप्तशती बीजमंत्र पुस्तक | Durga Saptashati Beej Mantra Book PDF Download

शक्ति के बिना दुनिया में कुछ भी संभव नहीं है। शक्ति के बिना तो स्वयं भगवान शिव भी शव हैं। अतः जीवन में शक्ति के महत्व को कोई भी व्यक्ति, समाज या धर्म किसी भी प्रकार से नकार नहीं सकता है। जाने- अनजाने प्रत्येक मानव शक्ति की ही साधना कर रहा है फिर चाहे वह बल, धन और ज्ञान ही क्यों न हो। इसलिये श्री दुर्गा सप्तशती बीजमंत्र साधना में तीन शक्तियों की आराधना एवं साधना करने पर बल दिया गया है।

ये तीन शक्तियाँ हैं महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती। दूसरे शब्दों में कहें तो ये तीन शक्तियाँ ही इस श्रृष्टि में सृजन पालन और विध्वंस करती है। सृजन के लिये आवश्यकता है ज्ञान की पालन के लिये धन की और विध्वंस के लिये बल की। जिस व्यक्ति में इन तीनो शक्तियों का संतुलन होता है वह ईश्वर तुल्य हो जाता है। कई मानवों ने दुर्गा सप्तशती बीजमंत्र के माध्यम से इन तीनों शक्तियों की साधना की है और इनको सिद्ध भी किया है।

जिन मानवों के हृदय प्रेम और करुणा की कमी थी, वे सभी अंहकार से ग्रसित हो गये और उन्होंने खुदका ही विनाश कर लिया। सरल शब्दों में जब आप प्रेम और करुणा से भरपूर होते हैं तो आप सकारात्मक होते हैं और यदि आप अहम् से भरे होते हैं तो आप नकारात्मक होते हैं। शक्ति की अपनी कोई ईच्छा नहीं होती हैं, वह तो आपके मन मुताबिक काम करती है और उसी हिसाबसे फल भी देती है।

इसको जैसे चाहे आप उपयागे कर सकते है। दुर्गा सप्तशती का फल इसके उपयागे के तरीके परही निर्भर करता है। जैसा आप बोएगें वैसा ही आपको काटना भी पड़ेगा। इतना अवश्य स्मरण रखियेगा कि आप एक बीज बोते हैं तो उसके परिणाम में वो आपको हजारों बीज लौटाता है। अब आपको कैसे बीज बोने हैं यह आपको तय करना होगा। आप प्रेम और करुणा के बीज बोना चाहते हैं या फिर काम, क्रोध, लोभ और अहंकार के।

अब आप निर्णय ले लीजिये और बीजमंत्र साधना के लिये तैयार हो जाईये। अपको राम बनना है या रावण जो कुछ भी आप बनना चाहें मार्ग एक ही है और वह है बीजमंत्र, शक्ति साधना। आपकी जैसी भी ईच्छा हो माँ भगवती अवश्य पूर्ण करेगी लेकिन फल के लिये वह जिम्मेदार नहीं होगी। परिणाम की जिम्मेदारी तो सिर्फ और सिर्फ आपकी होगी।


पुस्तकदुर्गा सप्तशती बीजमंत्र पीडीएफ / Durga Saptashati Beej Mantra PDF
लेखकशंकर पुरस्वानी
प्रकाशकशंकर पुरस्वानी, उदयपुर
भाषाहिन्दी
कुल पृष्ठ133
आकार2 MB
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