दयाल संदेश पुस्तक | Dayal Sandesh Book PDF Download
प्रस्तुत ग्रन्थ के रचयिता महर्षि शिवब्रत लाल वर्मा हैं । उनके अनुसार शब्द में मृत्यु है, अर्थ में जीवन है; शब्द वस्त्र है, अर्थ आत्मा है; शब्द मिश्रित है, अर्थ एक है; इसलिये जो शब्दों के बंधन को परित्याग कर केवल अर्थ व आशय की ओर आकर्षित होते हैं, वह मृत्यु से बच कर जीवन के अंग संग हो जाते हैं । जिसने किसी मनुष्य के केवल बाह्य वस्त्र को देख कर उसके असलियत को समझने का अभिमान किया, वह सदैव मूर्ख और अनभिज्ञ बना रहा, परन्तु जिसने वस्त्र के बखियों को उधेड़ कर आन्तरिक रूप का साक्षात्कार कर लिया वह आनन्दित हो गया । संसार के भौतिक रूप सदैव धोखा देते रहते हैं । कारण यह है कि ये चिरस्थायी नहीं हैं । जो आज है कल न रहेगा, जो इस समय दृष्टि के सन्मुख है वह दूसरे समय में कुछ का कुछ बन जायेगा । इसलिये इस परिवर्तनशील मंडल में रह कर कैसे किसी से आशा की जा सकती है कि वह केवल लिफाफा मात्र के देखने से असलियत का दृश्य देख सके । इस परिवर्तनशील मंडल में हमको अवसर मिला है कि हम उसके चक्कर करने वाले पहियों में घिस कर खराद पर चढ़ने वाले लट्टू की तरह स्वयं चक्कर खायें और फिर सुन्दर व पवित्र बन कर निकल आयें और संपूर्ण व समर्थ से मिल कर अपनी असलियत को समझ लें । यह हमारे जीवन का मुख्य उद्देश्य है । मनुष्य की उन्नति की अनेकों सीड़ियाँ हैं । उनमें एक शरीर की है दूसरी शक्ति की है, तीसरी बुद्धि की है, चौथी आत्मा की है । इन सब मंडलों तक हमारी गम है, क्योंकि वे वास्तव में हमारे लिये ही हैं । हम चाहें तो सुगमता से इन से संबंध जोड़ कर अपने मुख्य उद्देश्य को प्राप्त कर सकते हैं । यदि सफलता नहीं होती तो उनका दोष नहीं किन्तु हमारा अपना दोष है ।
पुस्तक | दयाल संदेश पीडीएफ / Dayal Sandesh PDF
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लेखक | Maharishi Shiv Brat Lal Verman |
प्रकाशक | Shiv Brat Lal Verman |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 129 |
आकार | 24 MB |
फाइल | PDF |
Status | OK |
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