चमत्कारी कुण्डलिनी शक्ति एवं ध्यान योग | Chamatkari Kundalini Shakti Evam Dhyan Yoga PDF






चमत्कारी कुण्डलिनी शक्ति एवं ध्यान योग पुस्तक | Chamatkari Kundalini Shakti Evam Dhyan Yoga Book PDF Download

भारतवर्ष में प्राचीन काल से ही अदृश्य एवं अलौकिक शक्तियों की चर्चा होती रही है। प्राचीन वेदों में अनेक स्थानों पर अदृश्य अलौकिक शक्तियों का उल्लेख किया गया है। उपनिषदों में कुण्डलिनी शक्ति एवं ध्यान योग के अनेक अंगों का उल्लेख करते हुए उनसे प्राप्त शक्तियों का परिचय दिया गया है। प्राचीन काल के अत्यंत श्रेष्ठ पुस्तक योगवाशिष्ठ में ऐसी अनेक कथाएं मिलती हैं, जिनमें अति असामान्य घटनाओं का विवरण दिया गया है।

इनमें वशिष्ठ की कथा, इन्दु के पुत्रों की कथा, इन्द्र और अहिल्या की कथा, जादूगर की कथा, शुक्राचार्य की कथा इत्यादि विभिन्न कथाओं में भिन्न-भिन्न प्रकार की शक्तियों का उल्लेख किया गया है। वशिष्ठ की कथा में ध्यान योग के माध्यम से मानव शरीर ग्रहण कर लेने का उल्लेख है। लीला की कथा में अनेक अति सामान्य घटनाएं दी गई हैं। कर्कटी की कथा में अणिमा सिद्धि का उल्लेख है।

इन्दु पुत्रकी कथा में इच्छा और संकल्प की अलौकिक शक्तियों का उल्लेख है। इन्द्र और अहिल्या की कथा में मन की शक्ति के द्वारा शारीरिक कष्टों पर विजय पाने का वृत्तान्त है। शुक्राचार्य की कथा में इच्छा मात्र से नया जीवन प्राप्त करना बताया गया है। बलि की कथा में समाधि प्राप्त करने की विधि बताई गई है। काकभुशुण्डि की कथा में असीम रूप से लंबे और पूर्ण स्वस्थ जीवन की संभावना के बारे में बतलाया गया है।

इनसब के अतिरिक्त योगवाशिष्ठ में उपरोक्त अलौकिक शक्तियों को प्राप्त करने की विधियों पर चर्चा की गई है। इसमें यह बतलाया गया है कि कैसे हम मन को सर्वशक्तिमान बना सकते है। इसके लिए कुण्डलिनी शक्ति को जगाकर प्राण का नियंत्रण तथा आध्यात्मिक प्रकृति के साक्षात्कार का उल्लेख है। योगवाशिष्ठ में चमत्कारी कुण्डलिनी शक्ति एवं ध्यान योग को जगाने की प्रक्रिया को विस्तारपूर्वक बतलाया गया है।

योग मार्ग की दो धाराएं हैं, एक चित्तवृत्ति निरोधमूलक है तो दूसरी शारीरिक क्रिया संपादन मूलक है। इन दोनों की प्रक्रियाएं भी दो प्रकार की हैं, पहली है प्रक्रिया प्रयोग और दूसरी मंत्राराधन संयुक्त प्रक्रिया प्रयोग। जब साधक केवल शारीरिक क्रियाओं द्वारा ऐंद्रिय क्रियाओं को संयत बनाने का प्रयास करता है तो वह प्रथम कोटि का प्रकार माना जाता है। और जब क्रिया के इष्ट मंत्र जप भी करता है तो वह द्वितीय कोटि के प्रकार में आता है।


पुस्तकचमत्कारी कुण्डलिनी शक्ति एवं ध्यान योग पीडीएफ / Chamatkari Kundalini Shakti Evam Dhyan Yoga PDF
लेखकसी. एम. श्रीवास्तव
प्रकाशकमनोज पब्लिकेशन्स, चांदनी चौक दिल्ली
भाषाहिन्दी
कुल पृष्ठ229
आकार71 MB
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