बिना औषधि के कायाकल्प पुस्तक | Bina Aushadhi Ke Kayakalp Book PDF Download
स्वस्थ रहना हर मनुष्य का स्वाभाविक अधिकार है। परमात्मा ने हर प्राणी को ऐसे साधन देकर भेजा है कि निरोग और स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सके, परंतु आज हम देखते हैं कि मनुष्य बीमारियों में जकड़ा हुआ है और बिना औषधि के एक दिन का भी गुजारा कठिन है। हालांकि मनुष्य के अलावा समस्त प्राणी साधारण बुद्धि रखते हुए भी निरोग रहते हैं। तब मनुष्य के अधिक बुद्धिमान् होनेका दावा करते हुए भी रोग ग्रस्त रहना सचमुच आश्चर्य की बात है।
मनुष्य ने अपनी जरूरत की हर चीजें कृत्रिम और अप्राकृतिक बनाकर अपने आपको रोगों के गड्ढे में डाल दिया है। अस्वस्थता की दुःखदायक स्थिति उसने स्वयं पैदा की है। अगर हम अपने इस रवैये को सुधार लें, तो इस शरीर का बिना औषधि के कायाकल्प करना संभव है, और वो भी बड़ी आसानी से। स्वाभाविक स्वास्थ्य आज दुर्लभ हो रहा है। निरोगिता का ही दूसरा नाम दीर्घजीवन, स्फूर्ति, बलिष्ठता, साहस, पुरुषार्थ आदि हैं।
आज के गिरे हुए स्वास्थ्य वालों को वह स्वाभाविक निरोगिता प्राप्त हो जाये, तो उसे कायाकल्प समझना चाहिए। अस्वस्थता का निवारण और स्वास्थ्य की प्राप्ति यही कायाकल्प है। इस कायाकल्प के लिए आपको औषधियों की कोई जरूरत नहीं, बल्कि आपको प्राकृतिक नियमों के अनुकूल आचरण और व्यवहार करने की आवश्यकता है। समस्त जीव-जंतुओं की स्थिति पर विचार करने से प्रतीत होता है कि मनुष्य को छोड़कर अन्य सभी स्वस्थ और निरोग जीवन व्यतीत करते हैं।
बिना औषधि के कायाकल्प पुस्तक में मॉडर्न लोगो से प्राकृतिक आहार-विहार की ओर चलने का अनुरोध किया गया है और वर्षो से बिगड़े हुए उनके भीतरी अवयव की सफाई करके, उन्हें पुनः चेतना प्राप्त करनेकी नीतियों से युक्त बनाने का मार्ग भी बताया गया है। हमारा विश्वास है कि स्वस्थता की दिशामें यह पुस्तक सर्व साधारण के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा।
आकाश में विचरते पशु-पक्षी, घास-पात में छिपे रहने वाले कीट-पतंग, वनों में विचरण करने वाले शाकाहारी तथा मांसाहारी पशु हर श्रेणी के जीव सदा स्वस्थ और निरोग रहते हैं। उन्हें न औषधि की जरूरत, न वैद्यों की और न ही डॉक्टरों की। उन्हें न तो चटनी, गोली, अवलेह से कोई मतलब है और न ही लोशन, पाउडर, इंजेक्शन और आपरेशन से। जीव-जंतु को आयुर्वेद और डॉक्टरी का भी कोई ज्ञान नहीं फिर भी वो कितने निरोग जीवन व्यतीत करते है!
स्वस्थ रहना हर मनुष्य का स्वाभाविक अधिकार है। परमात्मा ने हर प्राणी को ऐसे साधन देकर भेजा है कि निरोग और स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सके, परंतु आज हम देखते हैं कि मनुष्य बीमारियों में जकड़ा हुआ है और बिना औषधि के एक दिन का भी गुजारा कठिन है। हालांकि मनुष्य के अलावा समस्त प्राणी साधारण बुद्धि रखते हुए भी निरोग रहते हैं। तब मनुष्य के अधिक बुद्धिमान् होनेका दावा करते हुए भी रोग ग्रस्त रहना सचमुच आश्चर्य की बात है।
मनुष्य ने अपनी जरूरत की हर चीजें कृत्रिम और अप्राकृतिक बनाकर अपने आपको रोगों के गड्ढे में डाल दिया है। अस्वस्थता की दुःखदायक स्थिति उसने स्वयं पैदा की है। अगर हम अपने इस रवैये को सुधार लें, तो इस शरीर का बिना औषधि के कायाकल्प करना संभव है, और वो भी बड़ी आसानी से। स्वाभाविक स्वास्थ्य आज दुर्लभ हो रहा है। निरोगिता का ही दूसरा नाम दीर्घजीवन, स्फूर्ति, बलिष्ठता, साहस, पुरुषार्थ आदि हैं।
आज के गिरे हुए स्वास्थ्य वालों को वह स्वाभाविक निरोगिता प्राप्त हो जाये, तो उसे कायाकल्प समझना चाहिए। अस्वस्थता का निवारण और स्वास्थ्य की प्राप्ति यही कायाकल्प है। इस कायाकल्प के लिए आपको औषधियों की कोई जरूरत नहीं, बल्कि आपको प्राकृतिक नियमों के अनुकूल आचरण और व्यवहार करने की आवश्यकता है। समस्त जीव-जंतुओं की स्थिति पर विचार करने से प्रतीत होता है कि मनुष्य को छोड़कर अन्य सभी स्वस्थ और निरोग जीवन व्यतीत करते हैं।
बिना औषधि के कायाकल्प पुस्तक में मॉडर्न लोगो से प्राकृतिक आहार-विहार की ओर चलने का अनुरोध किया गया है और वर्षो से बिगड़े हुए उनके भीतरी अवयव की सफाई करके, उन्हें पुनः चेतना प्राप्त करनेकी नीतियों से युक्त बनाने का मार्ग भी बताया गया है। हमारा विश्वास है कि स्वस्थता की दिशामें यह पुस्तक सर्व साधारण के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा।
आकाश में विचरते पशु-पक्षी, घास-पात में छिपे रहने वाले कीट-पतंग, वनों में विचरण करने वाले शाकाहारी तथा मांसाहारी पशु हर श्रेणी के जीव सदा स्वस्थ और निरोग रहते हैं। उन्हें न औषधि की जरूरत, न वैद्यों की और न ही डॉक्टरों की। उन्हें न तो चटनी, गोली, अवलेह से कोई मतलब है और न ही लोशन, पाउडर, इंजेक्शन और आपरेशन से। जीव-जंतु को आयुर्वेद और डॉक्टरी का भी कोई ज्ञान नहीं फिर भी वो कितने निरोग जीवन व्यतीत करते है!
पुस्तक | बिना औषधि के कायाकल्प पीडीएफ / Bina Aushadhi Ke Kayakalp PDF |
लेखक | पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य |
प्रकाशक | युग निर्माण योजना प्रेस, मथुरा |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 48 |
आकार | 2 MB |
फाइल | |
Status | OK |