आनन्द सूत्र पुस्तक | Anand Sutra Book




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आनन्द सूत्र पुस्तक | Anand Sutra Book PDF Download

प्रस्तुत ग्रन्थ के रचयिता स्वामी श्री अखण्डानन्द सरस्वती महाराज हैं । आपके मन में दूसरों की सेवा करने की आकांक्षा अवश्य है, क्योंकि आप दूसरे से सेवा लिये बिना रह भी नहीं सकते । विचारणीय यह है कि आप दूसरों की कैसी सेवा करना चाहते हैं- आपके मनके पसंदकी सेवा या उसके मनके पसंद की ? आप उसको सुख पहुँचाना चाहते हैं या उसका हित करना चाहते हैं ? यह दोनों अलग-अलग चीजें है । कभी-कभी एक भी होती हैं। विवेक करना कठिन है । अपनी वासना सेवामें जुड़ जाती है। आप सूक्ष्म दृष्टि से देखिये । अपने द्वारा की हुई सेवासे आप अपने को गौरवान्वित करते हैं कि नहीं ? यदि ईश्वर की, मानवता की, समाज की, मजहब की, वर्ग की या किसी की भी सेवा करने से आपको यह अनुभव होता है कि मैंने एक बहुत बड़ा काम किया, तो ऐसी सेवा दूसरेकी न होकर आपकी अपनी सेवा हो जाती है । चन्दन अपने सिर में लगाकर, माला अपने गले में पड़ी, भोग-सुख अपने को मिला। इसमें सावधान रहने की बात बस इतनी ही है कि सेवामें कहीं अभिमानका उदय न हो जाये । यह विश्व बहुत बड़ा है । उसकी आवश्यकतायें और माँग भी बहुत बड़ी है । आपकी सेवा समुद्र में एक सीकर के समान भी नहीं है । आप अपने ही भीतर बैठे हुये ईश्वर के ज्ञान, उसकी शक्ति और उसके अद्भुत क्रियाकलाप का अनुभव कीजिये, आप देखेंगे कि ईश्वर से अलग आपका कोई सत्त्व महत्त्व नहीं है । आप यन्त्रके रूपमें बस सेवा करते रहिये ।


पुस्तकआनन्द सूत्र पीडीएफ / Anand Sutra PDF
लेखकSwami Akhandanand Saraswati Maharaj
प्रकाशकSatsahitya Prakashan Trust, Mumbai
भाषाहिन्दी
कुल पृष्ठ65
आकार2 MB
फाइलPDF
StatusOK

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