Details about साधन पथ Sadhan Path Hindi Book Pdf
साधन पथ पुस्तक के रचयिता है : हनुमान प्रसाद पोद्दार | इस पुस्तक में कुल 66 पृष्ठ हैं | साधन पथ पुस्तक की पीडीएफ फाइल का साइज : 2 MB | साधन पथ पुस्तक के प्रकाशक : गीता प्रेस, गोरखपुर | साधन पथ पुस्तक की भाषा है : हिन्दी | इस पुस्तक के प्रथम संस्करण का प्रकाशन तिथि : 2019 | इस पुस्तक की पीडीएफ क्वालिटी है : बहुत अच्छी | साधन पथ हिंदी पुस्तक का डाउनलोड लिंक इस पेज पर नीचे दिया गया है, जहां से आप केवल एक क्लिक से इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड कर सकते हैं। साधन पथ बुक की श्रेणी है : भक्ति धर्म
Sadhan Path book is written or composed by : Hanuman Prasad Poddar | This book has total 66 pages | Size of the Pdf file of the Sadhan Path book : 2 MB | Sadhan Path book is published by : Gita Press, Gorakhpur | Language of the book Sadhan Path is : Hindi | First edition of this book was published in : 2019 | Pdf quality of this book is : very good | Download link of Sadhan Path Hindi Book is provided below on this page, from where you can download the pdf file of this book by just a single click. Category of the Sadhan Path Hindi book is : Bhakti Dharma
Book Title : Sadhan Path / साधन पथ
Author : Hanuman Prasad Poddar
Publisher : Gita Press Gorakhpur
Tags : Sadhan Path Hindi book Pdf
Category : Bhakti Dharma
Number of pages : 66
File Size : 2 MB
Language : Hindi
First edition : 2019
File type : Pdf
Pdf Quality : Good
Copyright : (CC0 1.0) Public Domain
Material type : Book
Book type : ebook
Download link : available
Source : Public domain
Sadhan Path Book Summary :
जीवन का परम ध्येय स्थिर हो जानेपर जब उसके अतिरिक्त अन्य सभी पदार्थों के प्रति वैराग्य हो जाता है, तब साधन पथ के साधक के हृदय में कुछ दैवी भावों का विकास होता है, उसका अन्तःकरण शुद्ध सात्त्विक बनता जाता है, इन्द्रियाँ वश में हो जाती हैं, मन अन्य सभी विषयों से हटकर परमात्मा में एकाग्र होने लगता है।
परमात्मा को छोड़कर दूसरे किसी पदार्थ से मेरी तृप्ति होगी, यह शंका सर्वथा मिटकर चित्तका समाधान हो जाता है। उसे परमात्मा के सिवा कुछ भी अच्छा नहीं लगता, उसकी सारी क्रियाएँ केवल परमात्मा की प्राप्तिके लिये होती हैं। वह सब कुछ छोड़कर एक परमात्माको ही चाहता है। इसीका नाम मुमुक्षा या शुभेच्छा है।
प्रियतम के लिये प्राणों को तो हथेली पर लिये घूमते हैं। ऐसे प्रेमी साधक, उनके प्राणों की सम्पूर्ण व्याकुलता, अनादिकाल से लेकर अबतककी समस्त इच्छाएँ उस एक ही प्रियतम को अपना लक्ष्य बना लेती हैं। प्रियतम को शीघ्र पानेके लिये उनके प्राण उड़ने लगते हैं।
एक सज्जन ने कहा है कि 'जैसे बाँध टूट जाने पर जलप्लावन का प्रवाह बड़े वेग से बहकर सारे गाँवों को बहा ले जाता है, वैसे ही साधन पथ में विषयतृष्णा का बाँध टूट जानेपर प्राणों में भगवत्प्रेम के वेगका संचार होता है और वह सारे बन्धनों को तत्काल ही तोड़ डालता है।
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