Details about परलोक के खुलते रहस्य Parlok Ke Khulte Rahasya Hindi Book Pdf
परलोक के खुलते रहस्य पुस्तक के रचयिता है : अरुण कुमार शर्मा | इस पुस्तक में कुल 419 पृष्ठ हैं | परलोक के खुलते रहस्य पुस्तक की पीडीएफ फाइल का साइज : 25 MB | परलोक के खुलते रहस्य पुस्तक के प्रकाशक : आस्था प्रकाशन, वाराणसी | परलोक के खुलते रहस्य पुस्तक की भाषा है : हिन्दी | इस पुस्तक के प्रथम संस्करण का प्रकाशन तिथि : 2012 | इस पुस्तक की पीडीएफ क्वालिटी है : बहुत अच्छी | परलोक के खुलते रहस्य हिंदी पुस्तक का डाउनलोड लिंक इस पेज पर नीचे दिया गया है, जहां से आप केवल एक क्लिक से इस पुस्तक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड कर सकते हैं। परलोक के खुलते रहस्य बुक की श्रेणी है : भक्ति धर्म
Parlok Ke Khulte Rahasya book is written or composed by : Arun Kumar Sharma | This book has total 419 pages | Size of the Pdf file of the Parlok Ke Khulte Rahasya book : 25 MB | Parlok Ke Khulte Rahasya book is published by : Astha Prakashan, Varanasi | Language of the book Parlok Ke Khulte Rahasya is : Hindi | First edition of this book was published in : 2012 | Pdf quality of this book is : very good | Download link of Parlok Ke Khulte Rahasya Hindi Book is provided below on this page, from where you can download the pdf file of this book by just a single click. Category of the Parlok Ke Khulte Rahasya Hindi book is : Bhakti Dharma
Book Title : Parlok Ke Khulte Rahasya / परलोक के खुलते रहस्य
Author Name : Arun Kumar Sharma
Publisher : Astha Prakashan, Varanasi
Tags : Parlok Ke Khulte Rahasya Hindi Book Pdf
Category : Bhakti Dharma
Number of pages : 419
File Size : 25 MB
Language : Hindi
First edition : 2012
File type : Pdf
Pdf Quality : Good
Copyright : (CC0 1.0) Public Domain
Material type : Book
Book type : ebook
Download link : available
Source : Public domain
Parlok Ke Khulte Rahasya Book Summary :
कुछ दिनों से गुरुजी अस्वस्थ्य रहने लगे थे। प्रसंग का अवसर नहीं मिला। गुरुजी को श्वांस की समस्या थी। मैं अपने कार्य में व्यस्त तो था लेकिन दिमाग में मन्थन चलता रहा। परलोक के रहस्य जानने की लेकिन उनकी अस्वस्थता देख कर हिम्मत नहीं हो रही थी। एक दिन गुरुजी के परम शिष्य देवड़ाजी अपने परिवार को साथ आये हुए थे।
गुरुजी उनकी सारी बातें सुनते रहें। जब उनकी बातें समाप्त हो गयी तो गुरुजी कुछ पल आंखे बन्द किये रहे, ऐसा लग रहा था कि मानो वे परलोक के खुलते रहस्य को साक्षात देख रहे हो। उसके बाद उन्होने अक्षरशः सारी बातें और उनके घर का नक्शा खींच कर रख दिया। कौन सी चीज कहां, किस कमरे में है, वहां क्या हो रहा है सारी बातें बतला दीं। देवड़ाजी हतप्रभ रह गये।
उनसे रहा नहीं गया बोले- गुरुजी आप तो मेरे घर कभी नहीं गये तो कैसे आपने सारी बात बतला दी। कुछ देर गुरुजी गम्भीर चिन्तन में रहे आंखे बन्द किये और फिर बाद में बोले- क्या कुछ दिन पहले आपने कोई प्राचीन सामान खरीदा था? तुरन्त देवड़ाजी ने कहा हाँ गुरुजी मेरा बेटा एक पुराना सा चीज लाया था।
गुरुजी से मैंने पूछा- आप तो उनके घर भी नहीं गये और अक्षरशः सारी घटना बतला दी जैसे आप सब कुछ देख रहे हों और निवारण भी बतला दिया। क्या यह परलोक का कोई रहस्य है? गुरुजी कुछ पल सोचते रहे और फिर लेटे-लेटे ही बहुत ही सहज ढंग से बतलाया - यह तो मेरे सूक्ष्म शरीर का कमाल रहा।