जिन्दगी मेरे लिए मात्र एक मोमबत्ती नहीं है। यह एक वैभवशाली टॉर्च है, जिसे मैंने कुछ समय के लिए थाम रखा है, और मैं इसे नई पीढ़ी के सुपुर्द करने से पहले जितना अधिक सम्भव हो इससे चारों ओर प्रकाश फैलाना चाहता हूं।- जॉर्ज बर्नार्ड शाह
संन्यासी जिसने अपनी संपत्ति बेच हिंदी पुस्तक पीडीएफ / The Monk Who Sold His Ferrari Hindi Book PDF
फर्म के सभी सदस्यों की यह आपात्कालीन मीटिंग थी। जैसे ही हम मुख्य सभाकक्ष में एकत्रित हुए, मुझे अनुमान हो गया कि समस्या गम्भीर थी। सबसे पहले वृद्ध हार्डिग ने एकत्रित लोगों को सम्बोधित किया।
"मुझे दुःख है कि मेरे पास एक बहुत बुरी खबर है। कल न्यायालय में एयर एटलांटिक केस पर बहस करते समय जूलियन मेंटले को दिल का दौरा पड़ा। वह इस समय गहन चिकित्सा कक्ष में हैं। उसके डॉक्टरों ने मुझे सूचना दी है कि उसकी स्थिति अब स्थिर हो गई है और वह ठीक हो जाएंगे। मालूम नहीं क्यों जूलियन ने एक निर्णय लिया है। मेरे विचार से आप सभी को उससे अवगत होना चाहिए। उन्होंने हमारी फर्म छोड़ने का तथा वकालत के पेशे को त्यागने का फैसला किया है। अब वह फर्म में वापस नहीं आएंगे।"
मैं स्तब्ध रह गया। मुझे मालूम था कि वह मुसीबत में था लेकिन मैंने यह कभी नहीं सोचा था कि वह ऐसा करेगा। चूंकि हम दोनों हमेशा साथ ही रहे थे, मुझे लगा कि उसमें इतना शिष्टाचार तो होना ही चाहिए था कि वह स्वयं ही व्यक्तिगत रूप से मुझे इसकी जानकारी देता। अस्पताल में वह मुझसे मिला तक नहीं।
जब भी मैं वहां गया, उसके आदेशानुसार नर्सों ने यही कहा कि वह सो रहा है। उसकी नींद में खलल नहीं डाला जा सकता। उसने मुझसे टेलीफोन पर भी बात करने से इंकार कर दिया। हो सकता है मुझसे मिलकर उसे अपने उसी जीवन की याद आती जिसको वह भूलना चाहता था। कौन जानता है? फिर भी मैं एक बात कहूंगा इस सबसे मुझे दुःख हुआ।
यह घटना तीन वर्ष पूर्व की है। अन्त में मैंने सुना कि जूलियन किसी प्रकार की अभियान यात्रा पर भारतवर्ष चला गया था। उसने अपने किसी पार्टनर से कहा था कि वह सादा जीवन जीना चाहता था तथा वह अपने कुछ प्रश्नों के उत्तर भी पाना चाहता था। उसे आशा थी के वे उसको उसी रहस्यमय देश की धरती पर प्राप्त होंगे। उसने अपना मकान, अपना जहाज और अपना व्यक्तिगत टापू भी बेच दिया था। उसने अपनी फ़रारी भी बेच दी थी।
जूलियन मेंटले एक भारतीय योगी के रूप में था। मैंने सोचा, 'प्रभु के नियम बड़े ही रहस्यमय तरीकों से कार्य करते हैं। उन तीन वर्षों के गुजरने के साथ-साथ मैं एक अतिव्यस्त युवा वकील से एक थका हुआ, कुछ चिड़चिड़ा, प्रौढ़ वकील बन गया। मेरी पत्नी जेनी और मेरा एक परिवार था।
अब मैं भी जीवन का अर्थ खोजने लगा। शायद परिवार में बच्चे होने चाहिए थे। बच्चे भी हो गए। उन्होंने बुनियादी रूप से जिस दृष्टिकोण से मैं दुनिया को देखता था और जो उसमें मेरी भूमिका थी, उस सबको परिवर्तित कर दिया। मेरे पिता ने बिल्कुल सही कहा था, 'जॉन अपनी मृत्यु शैय्या पर तुम अपना समय ऑफिस में व्यतीत करना नहीं चाहोगे।'
अतः मैंने थोड़ा और अधिक समय घर पर बिताना शुरू कर दिया। मैं अच्छे से रह रहा था। मैंने रोटरी क्लब ज्वाइन कर लिया। अपने पार्टनर्स और मुवक्किलों को प्रसन्न रखने के लिए मैं शनिवार को गोल्फ खेलता था। लेकिन मैं आपको बता दूं कि अपने शान्त क्षणों में मैं अक्सर जूलियन के बारे में सोचा करता था और मुझे आश्चर्य होता था कि जब से हम अचानक अलग हुए थे, जूलियन पर क्या बीता होगा ?
Book | The Monk Who Sold His Ferrari Hindi PDF |
Author | Robin Sharma |
Language | Hindi |
Pages | 168 |
Size | 2.2 MB |
File | |
Category | Hindi Books, Inspirational |
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