संत रविदास हिंदी पुस्तक पीडीएफ | Sant Ravidas Hindi Book PDF
सामान्य तथा तथाकथित निम्न परिवार में जन्मे एवं कठिन परिस्थितियों से संघर्ष करते हुए एक महान सन्त ने किस प्रकार जीवन की सार्थकता प्राप्त की, सामा- जिक मूल्यों की विवेचना का विषय है। इस पुस्तक में एक ओर गुरु रविदास के जीवन की प्रारम्भिक कार्य प्रवृत्तियों से लेकर, साधना की चरम सीमा तक पहुंचने का गहन अध्ययन है, तो दूसरी ओर वेदों से लेकर संत-परम्परा तक का चित्त्रण। भक्ति-आन्दोलन के दौरान वैचारिक प्रगति और मामाजिक व्यवस्था में आन्तरिक परिवर्तन का विस्तृत विवरण है।
जाति, क्षेत्र तथा स्थानीय सांस्कृतिक विभिन्नता के होते हुए भी भारत एक मूल सांस्कृतिक चरित्न और इतिहास से जुड़ा हुआ है, जिसका कारण है- भारतीय संस्कृति में धार्मिक और दार्शनिक विचारों की उदारता। फलतः संस्कृति ने कितने ही आक्रमणकारी बाह्य कबीलों को सहज ही में आत्मसात कर लिया, किन्तु भारत में जातीयता की सामाजिक बेड़ियां इतनी कठोर रहीं हैं कि वे एक प्रकार से शोषण का माध्यम बन गईं। भक्ति आन्दोलन ने इन सामाजिक जंजीरों की कठोरता को ढीला किया था। कबीर, रविदास आदि मध्यकालीन संतों ने समाज को नई दिशा और चेतना प्रदान की ।
संतों के लिए मानव प्रेम ही ईश्वर प्रेम था, क्योंकि वह परमात्मा, जो उन्हें मिल गया था, उन्हें हर मानव के अन्दर दिखाई देता था। यह सन्त-युग अहिंसात्मक आध्यात्मिक आन्दोलन था। इस पुस्तक में विद्वान लेखक ने महान संत रविदास की जीवन-यात्रा का प्रामा- णिक ब्यौरा दिया है और सामाजिक भेदभाव, जाति-पांति, ऊंच-नीच, छुआछूत आदि सामाजिक व्याधियों का विश्लेषण भी किया है।
भारतीय इतिहास में मध्यकाल का अपना विशिष्ट स्थान है। जब समाज सामाजिक कुरीतियों और बुराइयों से त्रस्त था और निराशा और दीनता की भावना से ग्रस्त था, ऐसे समय में अनेक विचारक, भक्त और संत हुए, जिन्होंने सामाजिक कुरीतियों और बुराइयों को दूर करके, भेदभाव और ऊंच-नीच की भावना को समाप्त करके समाज की दशा सुधारने तथा व्यक्ति में भक्ति भावना संचारित करके आशा- विश्वास और आस्था जगाने और अपनी रसमयी, उद्बोधक और प्रेरक वाणी से जन-जन में प्रेम, भाईचारे और कल्याण-भावना जाग्रत करके महत्वपूर्ण कार्य किया।
Book | संत रविदास / Sant Ravidas |
Author | Dr Indraraj Singh |
Language | Hindi |
Pages | 165 |
Size | 16 MB |
File | |
Category | Bhakti Dharma |
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