धारणा और ध्यान पुस्तक पीडीएफ के बारे में जानकारी | Details about Dharna aur Dhyan Hindi Book Pdf
इस पुस्तक का पूरा नाम है : धारणा और ध्यान | इस पुस्तक के मूल रचनाकार का नाम हैं : श्री स्वामी शिवानंद सरस्वती | इस पुस्तक के संपादक का नाम हैं : रामकिशोर वर्मा | इस पुस्तक का प्रकाशन किया हैं : अज्ञात | इस पुस्तक की पीडीऍफ़ फाइल का आकार लगभग 69 MB का है | इस पुस्तक में पृष्ठों की कुल संख्या 156 हैं | धारणा और ध्यान पुस्तक का प्रथम संस्करण वर्ष 2004 में प्रकाशित हुआ | प्रस्तुत पुस्तक की श्रेणी है : भक्ती धर्म | इसी पेज पर "धारणा और ध्यान" पुस्तक का डाउनलोड लिंक भी उपलब्ध कराया गया है जहाँ से आप इसे मुफ्त में और सिर्फ एक क्लिक से डाउनलोड कर सकते हैं.
Full name of the book is : Dharna aur Dhyan | This book is originally written by : Shri Swami Shivanand Saraswati | Name of the editor of this book is : Ramkishor Verma | This book has been published by : unknown | PDF file size of this book is almost 69 MB | This book has a total of 156 number of pages | First edition of Dharna aur Dhyan book was published in the year of 2004 | Presented book is in the category of : Bhakti Dharm | Download link of the book "Dharna aur Dhyan" has been given further on this page from where you can download it for free.
Title | Dharna aur Dhyan |
Author | Swami Shivanand Saraswati |
Publisher | unknown |
Edited by | Ramkishor Verma |
Pub. Date | 2004 |
Total_page | 156 |
File size | 69 MB |
Language | Hindi |
Category | Bhakti Dharm |
Copyright | Public Domain Dedication |
Material | Ebook |
File | |
Quality | Good |
Download | Available |
पुस्तक के कुछ अंश :
जो निरंतर धारणा का अभ्यास करते हैं, वे शीघ्र उन्नति करते हैं। वे किसी भी कार्य को वैज्ञानिक ढंग से तथा पूर्ण दक्षता से कर सकते हैं। जिस कार्य को अन्य लोग चार घण्टों में करते हैं, उसे धारणा का अभ्यासी व्यक्ति आधे घण्टेमें कर सकता है। धारणा हमारे मन के आवेगों को शान्त और शुद्ध करती है। यह विचार शक्ति को दृढ़ करके हमारे विचारों को स्पष्ट करती है।
धारणा करने वाला आदमी अपने कार्य को अच्छे ढंग से सम्पन्न करता है। जो पहले धुंधला प्रतीत होता है, वह धारणा के अभ्यास से स्पष्ट दिखने लगता है। जो पहले कठिन लगता था, अब सरल हो जाता है। आप धारणा से बहुत कुछ प्राप्त कर सकते हैं। जो नियमित धारणा करते हैं, उनके लिए सब कुछ सम्भव हो जाता है।
किसी भूखे अथवा रोग से ग्रसित व्यक्ति के लिए धारणा करना अत्यंत कठिन है। धारणा का अभ्यास करने वाले की मानसिक रूप से एकदम स्पष्ट होता है। ध्यान सभी कष्टों तथा क्लेशों को नष्ट कर देता है। ध्यान समदृष्टि प्रदान करता है। यह एक हवाई जहाज के समान है, जो परमानन्द शान्ति के धाम की ओर बढ़ने में सहायक होता है।
मैं श्री शंकराचार्य जी का ध्यान करता हूँ, जो ज्ञानमुद्रा में बैठे हैं, जो यम-नियम आदि सद्गुणों से युक्त हैं, जिनकी कीर्ति भगवान् शंकर के समान है, जिनके मस्तक पर भस्म अंकित है, जिनका मुख खिले कमल के समान है, जो हाथों में वेद लिये हुए हैं, तथा जो अपने भक्तों की समस्त कामनाओं को पूर्ण करते हैं।