विज्ञान भैरव तंत्र / Vigyan Bhairav Tantra Osho Book PDF Details :
आज के इस पोस्ट में हम आपको विज्ञान भैरव तंत्र पुस्तक का पीडीएफ फाइल उपलब्ध करा रहे है | विज्ञान भैरव तंत्र पुस्तक मूल रूप से ओशो द्वारा लिखी गई है | इस पुस्तक का प्रकाशन "प्रीत ओशो लव" के द्वारा किया गया है | विज्ञान भैरव तंत्र पुस्तक में कुल पृष्ठों की संख्या 95 हैं तथा इस पुस्तक के पीडीएफ फाईल का आकार लगभग 1 MB है | इस पुस्तक का प्रथम संस्करण वर्ष 2016 में प्रकाशित हुआ था | विज्ञान भैरव तंत्र पीडीएफ हिन्दी पुस्तक का मुद्रण आदर्श प्रेस, कोलकाता द्वारा किया गया है | इस पुस्तक की भाषा हिन्दी है | इस बुक के Pdf की क्वालिटी बहुत अच्छी है | विज्ञान भैरव तंत्र पीडीएफ पुस्तक का डाउनलोड लिंक इसी पोस्ट मे नीचे दिया गया है, जहां से आप इसे सिर्फ एक क्लिक से डाउनलोड कर सकते है | विज्ञान भैरव तंत्र पुस्तक की श्रेणी है : धर्म, तंत्र मंत्र साधना
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पुस्तक का नाम | विज्ञान भैरव तंत्र |
Book Name | Vigyan Bhairav Tantra |
भाषा | हिंदी |
Language | Hindi |
लेखक | ओशो |
Author | Osho |
प्रकाशक | प्रीत ओशो लव |
Tags | Vigyan Bhairav Tantra PDF |
प्रकाशन तिथि | 2016 |
कुल पृष्ठ | 95 |
पीडीएफ_साइज | 1 MB |
फाइल टाइप | PDF File |
लिंक | Given Below |
श्रेणी | तंत्र मंत्र साधना |
विज्ञान भैरव तंत्र हिंदी PDF
Vigyan Bhairav Tantra Book Summary :
तुमने कभी किसी को सम्मोहित होते देखा है। जब कोई व्यक्ति सम्मोहित किया जाता है, तब सम्मोहन करने वाला व्यक्ति जो भी कहता है, सम्मोहित व्यक्ति तुरंत उसका पालन करता है। आदेश कितनाही बेहूदा हो, तर्कहीन हो या असंभव ही क्या न हो। सम्मोहित व्यक्ति उसका पालन करता है। ऐसा क्यों होता है?
वह कहता है कि अब तुम गहरी नींदमें जा रहे हो, और तुम तुरंत सो जाते हो। वह कहता है कि अब तुम बेहोश हो रहे हो और तुम बेहोश हो जाते हो। अब अगर वह कहे कि तुम नेपोलियन या हिटलर हो गए हो तो तुम हो जाओगे तुम्हारी मुद्रा बदल जायेगी। आदेश पाकर तुम्हारा अचेतन उसका वास्तविक बना देता है।
सारिपुत्र ने गहरा ध्यान किया। तब बहुत चीजें घटित होने लगीं, बहुत तरह के दृश्य उसे दिखाई देने लगे। जो भी ध्यान की गहराईमें जाता है उसे यह सब दिखाई देने लगता है। स्वर्ग और नरक, देवता और दानव, सब उसे दिखाई देने लगे। और वह ऐसे वास्तविक थे कि सारिपुत्र बुद्ध के पास दौड़ा आया और बोला कि मुझे ऐसे दृश्य दिखाई देते हैं।
बुद्ध ने कहा, वे कुछ नहीं, मात्र स्वप्न है। लेकिन सारिपुत्र ने कहा कि वे इतने वास्तविक है कि मैं कैसे उन्हें स्वप्न कहूं? जब एक फूल दिखाई पड़ता है, वह फूल किसी भी फूलसे अधिक वास्तविक मालूम पड़ता है। उसमे सुगंध है। उसे मैं छू सकता हूं। अभी जो मैं आपको देख रहा हूं वह भी उतना वास्तविक नहीं है।