नित्यकर्म पूजाप्रकाश पुस्तक / Nitya Karm Pooja Prakash PDF Book Details :
In this vlog we are providing you the Pdf file of Nitya Karm Pooja Prakash book. Nitya Karm Pooja Prakash book is written by Shri Radheshyam Khemaka. This book has total 382 pages and the size of the Pdf file of this book is 15 MB. Nitya Karm Pooja Prakash book is published by Gita Press, Gorakhpur. First edition of this book was published in the year of 1993. This book is printed by Gitapress. The language of the book Nitya Karm Pooja Prakash is Hindi and Sanskrit. Pdf quality of this book is very good. Download link of Nitya Karm Pooja Prakash Pdf Book is provided below on this page, from where you can download the pdf file of this book by just a single click. Category of this book is : Bhakti - Dharm.
आज के इस पोस्ट मे हम आपको नित्यकर्म पूजाप्रकाश हिंदी पुस्तक के पीडीएफ फाइल को उपलब्ध करवा रहे है | नित्यकर्म पूजाप्रकाश पुस्तक के लेखक का नाम श्री राधेश्याम खेमका है | इस पुस्तक में पृष्ठों की कुल संख्या 382 हैं तथा इस इसके पीडीएफ फाईल का आकार लगभग 15 MB है | नित्यकर्म पूजाप्रकाश पुस्तक का प्रकाशन गीता प्रेस, गोरखपुर द्वारा किया गया है | इस पुस्तक का प्रथम संस्करण वर्ष 1993 में प्रकाशित हुआ था | प्रस्तुत पुस्तक का मुद्रण गीताप्रेस द्वारा किया गया है | नित्यकर्म पूजाप्रकाश पुस्तक की भाषा हिन्दी और संस्कृत है | इस पुस्तक के पीडीएफ फाइल की क्वालिटी बहुत अच्छी है जिससे कि आपको इसे पढ़ने में कोई परेशानी नहीं होगी। नित्यकर्म पूजाप्रकाश पुस्तक के पीडीएफ फाईल का डाउनलोड लिंक इसी पोस्ट मे नीचे दिया गया है, जहां से आप इसे मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है। इस पुस्तक की श्रेणी है : भक्ती - धर्म
Title | Nitya Karm Pooja Prakash |
Author | Radheshyam Khemka |
Publisher | Gita Press, Gorakhpur |
Printed by | Gitapress |
Pub. Date | 1993 |
Total_page | 382 |
File size | 15 MB |
Language | Hindi, Sanskrit |
Category | Bhakati Dharma |
Copyright | Public Domain Dedication |
Material | Ebook |
File | |
Quality | Good |
Download | Available |
Nitya Karm Pooja Prakash Book Summary :
किसी भी देवताकी पृथक् पूजा करनी हो तो पिछली विधि और मन्त्रोंसे की जा सकती है। केवल उन मन्त्रों में विभक्ति और नाम मन्त्रका ही परिवर्तन करना जरूरी होता है। इन्हीं मन्त्रोंसे देवी की पूजा भी संपन्न की जा सकती है। केवल पुलिंगकी जगह स्त्रीलिंग का प्रयोग करना होगा। इसी प्रकार पञ्चदेव की पूजामें पाँच देवोंके लिये बहुवचनका प्रयोग हुआ है।
किसी एक देव या देवीकी पूजा में उनका एकवचन में प्रयोग कर लेना चाहिये यहाँ उदाहरणस्वरूप इन्हीं मन्त्रोंसे शिवपूजा का विधान दिया जा रहा है। इसीके आधारपर अन्य देवोंकी पूजा करनी चाहिये। उसके बाद लिङ्ग बदलकर, उदाहरणस्वरूप में दुर्गापूजाका विधान बतलाया गया है। इसी आधारपर अन्य देवियोंकी पूजा करनी चाहिये।
यदि ये आगमोक्त मन्त्र भी पढ़ना कठिन पड़े तो केवल नाममन्त्रसे आवाहन करके नैवेद्य आदि चढ़ाना चाहिये। यदि कोई भी पूजाका उपचार न जुट पाये या जुटाना अशक्य हो तो उसे मनसे तैयार कर चढ़ा देना चाहिये। शिव पूजामें सर्वप्रथम पहले की तरह आचमन कर पवित्री धारण करे फिर अपने ऊपर और पूजा सामग्रीपर जलका प्रोक्षण करे।
दुगापूजा विधान - पहले बतलाये गए नियम के अनुसार आसन पर बैठ जाए। जलसे प्रोक्षणकर शिखा बाँधे। फिर तिलक लगाकर आचमन एवं प्राणायाम करे, संकल्प करे। हाथमें फूल लेकर अञ्जलि बाँधकर दुर्गाजीका ध्यान करे। यदि प्रतिष्ठित प्रतिमा हो तो आवाहनकी जगह पुष्पाञ्जलि दे, नहीं तो दुर्गाजीका आवाहन करे।