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ज्योतिष सर्व संग्रह पुस्तक | Jyotish Sarva Sangrah PDF Book



Jyotish-Sarva-Sangrah-PDF-Book




पुस्तक : ज्योतिष सर्व संग्रह

लेखक : श्री रामस्वरूप शर्मा

सम्पादक : अज्ञात

प्रकाशक : हरिहर प्रेस मेरठ

डिजिटल प्रकाशन तिथि : सितंबर 2009

कुल पृष्ठों की संख्या : 174

पुस्तक का आकार : 5 MB

पुस्तक की श्रेणी : एस्ट्रोलॉजी, धर्म

फ्री पीडीएफ डाउनलोड लिंक : निचे उपलब्ध है




पुस्तक की विषय सूची :

  • बारह महीनों के नाम
  • सोलह तिथियों और सप्त वारों के नाम
  • नक्षत्रों के नाम
  • नक्षत्रों के देवता सप्त विंशति योग देखना
  • अष्टदिशाओं के स्वामी
  • ११ करण और बारह राशियो के नाम देखना
  • चार २ अक्षरों के नक्षत्र देखना
  • नौ और दो अक्षरों की राशी व चन्द्रमा देखना
  • लग्न विचार देखना
  • लग्न भोग और तिथि गंडांत देखना
  • नक्षत्रगंडांत व लग्न गंडान्त
  • ज्येष्ठा मूल नक्षत्र फल देखना, मूल वृक्ष फल देखना
  • श्लेषा नक्षत्र फल और मूल ज्येष्ठा श्लेषा
  • मूल, श्लेषा, ज्येष्ठा, अश्विनी नक्षत्र मन्त्र देखना
  • मघा, रेवती मंत्र व सामिग्री
  • जन्मपत्री लिखना
  • लग्न परीक्षा व ग्रहों का फल
  • राशियों के स्थान
  • शुभ और अशुभ ग्रह और स्त्री की कुन्डली देखना
  • वर्ग वैर और वर्गफल देखना
  • नव ग्रहों की जात और राशि भाव संज्ञा देखना
  • योनी दोष देखना, योनी वैर ग्रह मैत्री देखना
  • नाड़ी दोष, नाड़ी चक्र देखना
  • प्रभाग फल नपुंसक देखना
  • सगाई का मुहूर्त देखना, ज्येष्ठ विचार देखना
  • जन्मपत्र मिलाना विवाह सुझाना
  • विवाह नक्षत्र विवाह मास देखना




सारांश / Summary :

एक एक ऋतु दो महीने तक रहती है । जैसे मेष वृष के सूर्य में यानी वैशाख ज्येष्ठ में वसन्त ऋतु होती है । मिथुन, कर्क सूर्य में ग्रीष्म । सिंह कन्या के सूर्य यानी भाद्रपद श्रश्विन में वर्षा ऋतु होती है। तुला वृश्चिक के सूर्य में यानी कार्तिक, मङ्गशिर में शरद् । धन मकर के सूर्य में यानी पोष माघ में हेमन्त । कुम्भ मीन के सूर्य में यानी 'फाल्गुण, चैत्र में शिशिर । छः महीने सूर्य उत्तरायण और ६ महीने दक्षिणायण रहता है । उत्तरायण सूर्य में देवताओं का दिन होता है और दक्षिणायण में रात होती है । इसी कारण जितने शुभ काम हैं उत्तरायण सूर्य में अच्छे होते हैं । माघ, फाल्गुण, चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ अषाढ़ इन छः महीनों में सूर्य उत्तरायण रहता है और श्रवण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मङ्गशिर, पूष इन ६ महीनों में सूर्य दक्षिणायण रहता है। ये संक्रांति के हिसाब से पत्र में लिखा रहता है ।


जैसे अश्विनी नक्षत्रमें जन्म हुआ हो तो देखो कि यह नक्षत्र ६० घड़ी भोग करता है तो पन्द्रह पन्द्रह घड़ी के चार चरण हुये और जो नक्षत्र ६० घड़ी से कमती बढ़ती हो तो उतनी ही घड़ियों को चार जगह बांटे, जितना घंट आवे, उतनी ही घड़ियों पलों का एक चरण जाने, जिस चरण में जन्म हो उसी चरण का अक्षर नाम में पहले आता है । जो पंडित ६० घड़ी लगाते हैं उनके लगाने से राशि में फर्क आता है अब देखिये कि अश्विनी नक्षत्र में जन्म हुआ तो यह देखो कि कौन से चरण में जन्म हुआ, उसी चरण के अक्षर पे नाम रखे जैसे - चू चे चो ला । अश्विनी पहले चरण का अक्षर 'चू' है दूसरे का 'चे ' है तीसरे का चो है और चौथे का ला है। अगर चू पे लड़के का जन्म हो तो चुन्नी । चे पे जन्म हो तो चेतराम । चो पे हो तो चोलावती । ला पे लाला या लालजी या लाली सब नक्षत्रों पै ऐसे ही नाम धरे । जिस नक्षत्र के चरण पे लड़के या लड़की जन्म होगा उसका वही नक्षत्र होगा।



पीडीएफ लिंक / Pdf Link :

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