शतरंज के खिलाड़ी - प्रमचंद हिंदी पुस्तक के मुख्य पृष्ठ की तस्वीर नीचे दी गई है ।
शतरंज के खिलाड़ी हिंदी पुस्तक के बारे में जानकारी :
आज के इस पोस्ट मे हम आपको शतरंज के खिलाड़ी हिंदी पुस्तक के पीडीएफ फाइल को उपलब्ध करवा रहे है। शतरंज के खिलाड़ी पुस्तक के लेखक प्रेमचंद जी है। प्रस्तुत पुस्तक का संपादन श्री सुरेश सलिल जी द्वारा किया गया है। इस पुस्तक का प्रकाशन शिक्षा भारती प्रकाशन, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट दिल्ली द्वारा किया गया है। शतरंज के खिलाड़ी हिंदी पुस्तक में पृष्ठों की कुल संख्या 175 हैं तथा इस पुस्तक के पीडीएफ फाईल का आकार लगभग 2 MB है। शतरंज के खिलाड़ी पुस्तक का पहला संस्करण वर्ष 2015 में प्रकाशित हुआ था। इस पुस्तक का मुद्रण शिक्षा भारती, दिल्ली द्वारा किया गया है। इस पुस्तक के पीडीएफ फाइल की क्वालिटी बहुत अच्छी है जिससे कि आपको इसे पढ़ने में कोई परेशानी नहीं होगी। शतरंज के खिलाड़ी हिन्दी पुस्तक के पीडीएफ फाईल का डाउनलोड लिंक इसी पोस्ट मे नीचे दिया गया है। इस पुस्तक की श्रेणी है : कहानी, साहित्य
Shatranj ke Khiladi Hindi book PDF
In today's post, we are providing you the PDF file of Shatranj ke Khiladi Hindi Book. This book is written by Premchand ji. This book is compiled by Shri Suresh Salil. Shatranj ke Khiladi book is published by Shiksha Bharati Publication, Madarsa Road, Kashmiri Gate Delhi. Total number of pages in this book is 175 and the size of the PDF file of this book is almost 2 MB. First edition of Shatranj ke Khiladi Hindi book was published in the year of 2015. Download link of the PDF file of the book Shatranj ke Khiladi is given below on this page.
शतरंज के खिलाड़ी पुस्तक के कुछ मशीनी अंश नीचे दिए गए है:
बड़े-बड़े विद्वान भी शुद्ध अंग्रेज़ी नहीं लिख सकते, बोलना तो दूर की बात है। मैं तो कहता हूँ, तुम कितने घोंघा हो कि मुझे देखकर भी कोई सबक नहीं लेते हो। मैं कितनी मेहनत करता हूँ यह तुम भी देखते हो, अगर नहीं देखते, तो यह तुम्हारी बुद्धिका ही कसूर है। इतने मेले-तमाशे होते हैं, क्या तुमने कभी मुझे जाते देखा है ?
भाई साहब ने इसे भाँप लिया उनकी बुद्धि बड़ी तीव्र थी। एक दिन जब मैं भोर का सारा समय गुल्ली-डंडे की भेंट करके भोजन के समय लौटा तो भाई साहब ने तलवार खींच ली और मुझ पर टूट पड़े और बोले, इस साल पास हो गए और दरजेमें अव्वल आ गए, तो तुम्हें ज्यादा दिमाग हो गया है; लेकिन घमंड तो बड़े-बड़े का नहीं रहा, तुम्हारी क्या हस्ती है ?
शायद अब वह समझ गए थे कि मुझे डाँटने का अधिकार उन्हें नहीं रहा, यदि रहा भी, तो बहुत कम। मैं उनकी सहिष्णुताका अधिक लाभ उठाने लगा। मुझे ऐसी धारणा हुई कि मैं पास हो ही जाऊँगा, मेरी तक़दीर बलवान है। इसलिए भाई साहब के डरसे जो कुछ भी पढ़ लिया करता था, अब वो भी बन्द हो गया। मेरा समय अब पतंगबाज़ी को ही भेंट होता था।
शतरंज के खिलाड़ी पुस्तक के पीडीएफ फाईल का डाउनलोड लिंक :
शतरंज के खिलाड़ी हिंदी पुस्तक के पीडीएफ फाईल को मुफ्त में डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए लाल रंग के डाउनलोड बटन पर क्लिक करे । धन्यवाद
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